भारत की महिलाएं बनी मिसाल: लोकनीति की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट हुई जारी…..

हाल ही में “लोकनीति एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारतीय महिलाओं और उनकी राजनीतिक सक्रियता से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाओं की चुनावी भागीदारी में उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति का विशेष प्रभाव होता है। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में चुनावों में मतदाता के रूप में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है। अनेक राज्यों में हुए विभिन्न चुनावों में महिलाएँ पुरुषों के समान मतदान कर रही हैं, जबकि कई स्थानों पर वे पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान कर रही हैं।

इसके अलावा महिलाएँ अपनी राजनैतिक पसंद को लेकर भी स्वायत्त हो रही हैं किंतु यह प्रचलन भी शहरी क्षेत्र की तथा शिक्षित महिलाओं में अधिक देखा गया। इस सर्वेक्षण द्वारा यह पाया गया कि 71% महिलाओं ने विभिन्न माध्यमों से राजनीतिक समाचारों को पढ़ने में रुचि प्रदर्शित की। ये माध्यम मीडिया, न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि हो सकते हैं।


समाचारों में रुचि भी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के अनुसार प्रभावित होती है। उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग की महिलाओं में यह प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है।भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक,भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता अधिकारी आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। महिलाएं अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, देश की सेवा तो कर रही है, अपितु अपने परिवार में पकड़ बनाए हुए है, वो गृहिणी से लेकर पत्नी मां और बहू आदि गौरवशाली देश की सेवा कर रही है. वैसे में कुछ महिलाओं का उदाहरण इस प्रकार है:- प्रतिनिधि से लेकर पदाधिकारी तक श्रीमती रूपा गांगुली व्यवसाय
(कलाकार, राजनीतिज्ञ पश्चिम बंगाल कोलकाता)/ श्रीमती सीता सोरेन (एमएलए झारखंड विधानसभा जामा )/ निक्की हेंब्रम (एमएलए बिहार कटोरिया विधानसभा)/ नैंसी सहाय (आईएएस झारखंड)/ राजेश्वरी बी (आईएएस झारखंड) गुप्त सूचना के आधार पर यह पता चला है कि जहां वे पदस्थापित है, क्षेत्रीय भाषाओं का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि वहां के लोगों के भाषाओं को समझ कर अपनी विशिष्ट सेवा दे सके! इन नेत्रीओ और अधिकारियों ने देश को गौरवान्वित किया है! विचारणीय:- कहना गलत नहीं होगा यह डगर इतना आसान नहीं इसमें भागीदारी के साथ-साथ कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता पड़ेगी!

 रिपोर्ट:- अमित कुमार सिन्हा (पटना)
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