हिजाब विवाद में प्रैक्टिकल एग्जाम छोड़ने वाली छात्राओं को दूसरा मौका नहीं, कर्नाटक सरकार का सख्त फैसला….

जिन छात्रों ने हिजाब विवाद में प्रैक्टिकल परीक्षाएं छोड़ी हैं उन्हें अब पूरे 30 नंबरों का नुकसान होगा। हालांकि जो छात्र अपना शैक्षणिक सत्र बचाना चाहते हैं वे 70अंकों की लिखित परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। कर्नाटक सरकार ने साफ किया कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाने वाले छात्रों को मौका देना गलत है।

कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका के बाद बेंच ने दिया था अंतरिम आदेश

हाई कोर्ट ने कहा था कि अगले आदेश तक स्कूल में हिजाब नहीं पहन सकेंगी छात्राएं

हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद भी हिजाब पहनकर प्रैक्टिकल एग्जाम देने पहुंची थीं

हिजाब अलाउ नहीं होने पर छात्राओं ने छोड़ दी थी प्रैक्टिकल परीक्षा

बेंगलुरु : कर्नाटक में पीयू के सैकड़ों छात्र जिन्होंने हिजाब विवाद में प्रदर्शन किया और अपनी प्रैक्टिकल परीक्षाएं छोड़ दीं, उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। फरवरी-मार्च में हिजाब विवाद के चक्कर में कई छात्राओं ने प्रैक्टिकल का बहिष्कार किया था। ऐसी छात्राओं को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिए जाने के संकेत दिए गए थे लेकिन सरकार ने रविवार को उन छात्रों के लिए उस विकल्प को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। यह प्रैक्टिकल परीक्षाएं बोर्ड एग्जाम का हिस्सा थीं, अब परीक्षाएं छोड़ने वाली छात्राओं के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है।

प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया कि हम संभावना पर विचार भी कैसे कर सकते हैं? अगर हम हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद भी परीक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने के लिए प्रैक्टिकल का बहिष्कार करने वाले छात्रों को अनुमति देते हैं, तो एक और छात्र किसी अन्य कारण का हवाला देते हुए आएगा और दूसरा मौका मांगेगा। यह असंभव है।

70 अंकों वाली लिखित परीक्षा में हो सकती हैं शामिल

पीयू परीक्षा में, प्रैक्टिकल में 30 अंक और थ्योरी 70, कुल 100 प्रति पेपर होते हैं। जिन छात्रों ने हिजाब विवाद में प्रैक्टिकल परीक्षाएं छोड़ी हैं उन्हें अब पूरे 30 नंबरों का नुकसान होगा। हालांकि जो छात्राएं अपना शैक्षणिक सत्र बचाना चाहती हैं वह 70अंकों की लिखित परीक्षा में शामिल हो सकती हैं और विषय में पास कर सकती हैं।

‘दूसरा मौका देना गलत परपाटी’
12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 22 अप्रैल से शुरू होने वाली हैं। कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने मैसूर में कहा, ‘हमने पहले ही कहा है कि किसी को भी अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए दूसरा मौका नहीं देने के हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’

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