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सीएम नीतीश का केंद्र सरकार पर हमला बोले इस निर्णय पर पुनर्विचार करे सरकार….

जातीय जनगणना को लेकर बिहार में बयानबाजी का दौर जारी है। भाजपा नेताओं ने कहा कि जातीय जनगणना पर केंद्र का जो निर्णय है, वह उसे मानते हैं और उसके साथ हैं। उनका यह भी आरोप है कि इसकी बात वोट की राजनीति करने वाले ही कर रहे हैं। वहीं अन्य दलों ने जातीय जनगणना कराने की मांग फिर दुहराई है। इस बीच रविवार को दिल्ली में सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जातीय जनगणना देशहित में है। केंद्र सरकार को अपने निर्णय पर एक बार फिर से पुर्नविचार करना चाहिए। नक्सलवाद को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद सीएम नीतीश पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत के दौरान ये बात कही।

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना अगर होगा तो ठीक से होगा, हर घर से पूरी जानकारी लेंगे तो सारी बात स्पष्ट हो जाएगी। ऐसी कोई जाति नहीं जिसमें उपजाति नहीं है। अगर जाति के आधार पर गणना नहीं होती है तो हम लोग इसे कतई सही नहीं मानते। बिहार के सारे दल के लोगों ने जातीय जनगणना की मांग किया है। इस मुद्दे को विधानमंडल से सर्वसम्मति से पास किया गया है। हम तो यही आग्रह करेंगे कि फिर से निर्णय पर पुर्नविचार करें और जातीय जनगणा करायें। हमलोगों बिहार में एक बार फिर से बैठेंगे और विचार करेंगे। हर किसी को मालूम है कि हमलोगों की इच्छा क्या है?

इससे पहले शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 वरिष्ठ नेताओं को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने केंद्र सरकार के उदासीन रवैये और सबकी साझा आशंकाओं की चर्चा की है। साथ ही, नेताओं से इस मामले में साझी रणनीति तय करने के लिए सुझाव भी मांगा है। नेता प्रतिपक्ष ने अपना पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 33 नेताओं को भेजा है। देशभर के गैर भाजपा दलों के नेताओं की उनकी सूची में प्रकाश सिंह बादल, मायावती और चिराग पासवान भी हैं। पत्र में उन्होंने कहा है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है। केन्द्र का फैसला वंचित वर्गों के विशाल बहुमत के लिए गंभीर चिंता की बात है।

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