Join WhatsApp Group Join WhatsApp Group

पवार की ‘घड़ी’ हो या लालू की ‘लालटेन’, यूपी में ‘हाथ’ नहीं, अखिलेश का साथ पसंद है!

यूपी में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गठजोड़ बनाए जाने लगे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले यूपीए के सहयोगी दलों को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ‘हाथ’ नहीं बल्कि अखिलेश यादव का साथ पसंद आ रहा है. यही वजह है कि आरजेडी और एनसीपी जैसे दलों ने कांग्रेस के बजाय सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने एक साथ आकर बीजेपी को सत्ता में आने से रोक दिया था, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस तिकड़ी के दो अहम सदस्य भी साथ नहीं आ पा रहे हैं. यूपी में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गठजोड़ बनाए जाने लगे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले यूपीए के सहयोगी दलों को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ‘हाथ’ नहीं बल्कि अखिलेश यादव का साथ पंसद आ रहा है.

एनसीपी का सपा से गठबंधन तय

शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से लेकर लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है. यह दोनों ही दल कांग्रेस के सहयोगी हैं. बिहार में कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी है तो महाराष्ट्र में एनसीपी है. ऐसे में इन दोनों दलों का सपा के साथ जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.  

मंगलवार को लखनऊ में एनसीपी के महासचिव केके शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर यादव ने प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि यूपी में सपा के साथ मिलकर हम चुनाव लड़ेंगे. इस बाबत सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात भी हो गई है और अब केवल सीटों का चयन होना है. उन्होंने कहा कि इसके लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार की हरी झंडी मिल चुकी है और हम सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. 

आरजेडी को अखिलेश का साथ पसंद है

वहीं, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने भी यूपी में सपा के साथ मिलकर कर चुनाव लड़ने का निर्णय किया है. उत्तर प्रदेश में आरजेडी के अध्यक्ष अशोक सिंह ने aajtak से बातचीत में कहा कि हमारी पार्टी ने यूपी में सपा के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है ताकि वोटों का बिखराव न हो सके. ऐसे में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है, लेकिन हमारी दो सीटों की डिमांड है. इसमें रायबरेली जिले की सरेनी और सदर सीट है, जिस पर हम मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. 

हालांकि, अशोक सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि कांग्रेस भी सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े. 2017 से 2022 की स्थिति अलग है. 2017 में भी हमने सपा-कांग्रेस गठबंधन को समर्थन किया था और हम चुनाव नहीं लड़े थे. वहीं,  इससे पहले तक यूपी में हम तकरीबन 50 से 60 सीटों पर चुनाव लड़ते रहे हैं और हर एक सीट पर दो से 20 हजार तक वोट मिले हैं, जिसके चलते कई सीटों पर सपा को हार का सामना करना पड़ता था. इसीलिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है कि हम सपा का साथ देंगे, जिस प्रकार अखिलेश यादव ने बिहार में तेजस्वी यादव का साथ दिया है. 

सपा का छोटे दलों से गठबंधन

बता दें कि अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बसपा के बजाय छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अखिलेश ने जयंत चौधरी की आरएलडी, केशव मौर्य की महान दल और अनिल चौहान की जनवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. इसी कड़ी में एनसीपी और आरजेडी का नाम भी सपा के साथ जुड़ गया है जबकि यह दोनों केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए का हिस्सा है. 

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी संभाल रही हैं और तीन दशक के सियासी वनवास को खत्म करने के लिए  हरसंभव कोशिश में जुटी हैं. इसके बावजूद कांग्रेस के सहयोगी दल एनसीपी और आरजेडी को यूपी में प्रियंका गांधी से ज्यादा अखिलेश यादव का साथ पंसद आ रहा है तभी तो दोनों दलों ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है. 

Share
Now