किसान आंदोलन सिंघु बॉर्डर:पारे में गिरावट के साथ’ बढ़ती जा रही युवाओं और महिलाओं की संख्या…

नई दिल्ली दिल्ली का पारा भले ही रात को गिरता जा रहा हो, मगर किसानों का जोश कम नहीं हो रहा है। सिंघु बॉर्डर पर बुधवार को किसान दिवस मनाया गया। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। आंदोलन में जहां एक ओर युवा किसान शामिल थे वहीं लुधियाना, पटियाला से आईं बुजुर्ग महिलाएं भी आंदोलन में जान भर रही थीं। सिंघु बॉर्डर मंच पर बुधवार को कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए रिले भूख हड़ताल के तहत तीसरे दिन भी कुछ लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे।

आंदोलन में पहुंचने वालों का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली और जीप लेकर वहां पहुंचे। तरणतार से आए होशियार सिंह ने कहा कि वह दो दिन पहले ही यहां आए हैं। वहां से एक जत्था आज भी निकला है। उन्होंने कहा कि हमें यहां सड़क पर बैठना अच्छा नहीं लगता। मगर यह अपने आपको बचाने की लड़ाई है।

सिंघु बॉर्डर पर बुधवार को भी लंगर लगातार चल रहा था। पूछने पर लंगर संचालकों ने कहा कि यहां देश के अन्नदाता हैं। उन्हें भूखा कैसे रखा जा सकता है। वैसे ही भी गुरु का लंगर कभी बंद नहीं होता है। किसान संगठनों ने कहा कि हम देशवासियों से अपील करते हैं। अगर उन्हें लगता है कि हम ठीक कर रहे हैं तो वह हमारा अपने तरीके से समर्थन करें।

देसी गीजर, टेंट की संख्या बढ़ाई

रात में लगातार गिरते पारे से आंदोलनकारियों को बचाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर देसी गीजर की संख्या बढ़ा दी गई है। पहाड़ों पर कैंपिंग वाले टेंट की संख्या वहां सामाजिक संगठनों द्वारा बढ़ाई जा रही है। अभी सिंघु बॉर्डर पर अलग-अलग संगठनों की ओर से 500 से अधिक टेंट की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा शेल्टर होम भी बनाए गए हैं। वहां त्रिपाल, कंबल, मोजे भी बांटे जा रहे हैं।

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