पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आधा झुका तिरंगा- आज अंतिम विदाई-जानिए कब और कहां…

मुख्य अंश:

  • पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन उनके निवास स्थान पर आज सुबह 11.00 से 12.00 बजे तक किया जा सकेगा
  • उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 2 बजे लोधी रोड श्मशान घाट में होगा
  • सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है

भारत के सर्वाधिक सम्मानित राजनेताओं में एक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी दुनिया को अलविदा कह दिया। मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने सोमवार को सेना के अस्पताल में उनका निधन होने की सूचना साझा की, जिसके बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई। आज पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आदा झुकाया गया। 

भारत सरकार ने 6 सितंबर तक के लिए पूरे देश में राजकीय शोक का ऐलान किया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि दिवंगत सम्मानीय नेता के सम्मान में भारत में 31 अगस्त से लेकर छह सितंबर तक राजकीय शोक रहेगा। मंत्रालय ने कहा कि राजकीय शोक के दौरान देश भर में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां ध्वज लगा रहता है। 

प्रणब मुखर्जी को आज आखिरी विदाई दी जाएगी। दोपहर 2.30 बजे दिल्ली के लोधी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। अब से कुछ देर बाद प्रणब मुखर्जी का पार्थिव शरीर उनके राजाजी मार्ग स्थित सरकारी आवास पर लाया जाएगा। सुबह 9 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविदं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके अंतिम दर्शन करेंगे। 

सबसे युवा वित्त मंत्री
साल 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने। तब वह 47 साल के थे। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। वे भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो इतने पदों को सुशोभित करते हुए इस शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचे। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहेे

ऐसा रहा सफर

  • देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुआ था।
  • एमए, एलएलबी के बाद प्रणब दा ने टीचर और पत्रकार के रूप में काम किया। बाद में उन्हें राजनीति भा गई।
  • इंदिरा गांधी उनसे इतनी प्रभावित हुईं कि कई दिग्गजों का पत्ता काट 1969 में राज्यसभा का सांसद बना दिया।
  • 1982 से 1984 तक वित्त मंत्री रहे। उन्होंने रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, लोकसभा नेता, राज्यसभा नेता जैसे पद संभाले।
  • लोकसभा सांसद बनना उनके लिए सपने जैसा रहा। यह सपना 2004 में पूरा हुआ जब वह पहली बार चुनाव जीते
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