उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 234 सरकारी डॉक्टरों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है। यह सभी डॉक्टर पिछले काफी समय से बिना सूचना के ड्यूटी से गायब थे। विभाग के साथ इन डॉक्टरों का सेवा अनुबंध (एग्रीमेंट) भी था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाया।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। विभाग ने इन सभी डॉक्टरों की सूची नेशनल मेडिकल काउंसिल को भेजने के साथ-साथ अनुबंध के तहत उनसे मेडिकल कॉलेज की फीस वसूलने की तैयारी भी की है।
एग्रीमेंट के अनुसार 5 साल सेवा देना था अनिवार्य
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों के साथ सरकार सेवा अनुबंध करती है, जिसके अनुसार पढ़ाई पूरी करने के बाद कम से कम पांच साल तक राज्य में सेवा देना अनिवार्य होता है। सेवा न देने की स्थिति में डॉक्टरों को बॉन्ड की तय राशि जमा कर एनओसी लेकर ही सेवा छोड़ने की अनुमति होती है।
बिना अनुमति लंबे समय से थे गैरहाजिर
लेकिन बर्खास्त किए गए डॉक्टरों ने ऐसा नहीं किया। पर्वतीय जिलों में तैनात ये 234 डॉक्टर बिना किसी सूचना के अपनी पोस्ट से गायब हो गए, जो अनुबंध की शर्तों का सीधा उल्लंघन है। स्वास्थ्य विभाग ने इस अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए यह सख्त कदम उठाया है।