इस बार ईडी ने अदालत में एक बड़ा दावा किया है। ईडी की ओर से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कोर्ट में कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल के अधिग्रहण में फर्जी लेन-देन हुआ है।
राजू ने बताया कि “यंग इंडियन” नाम की कंपनी ने एजेएल को टेकओवर किया था, जिसकी संपत्ति करीब 2000 करोड़ रुपये की है। उनका यह भी कहना है कि यंग इंडियन की स्थापना ही इस अधिग्रहण के लिए की गई थी।
यह दावा अगर साबित होता है, तो गांधी परिवार को कानूनी तौर पर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस मामले ने एक बार फिर राजनीति और कानून के मोर्चे पर हलचल मचा दी है।
यंग इंडियन के पीछे कौन?
नेशनल हेराल्ड केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं, और गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
अब ईडी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कुछ अहम बातें सामने रखीं।
उन्होंने बताया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के एक निदेशक ने कांग्रेस को चिट्ठी लिखी थी। उसमें साफ कहा गया था कि अखबार बंद हो चुका है, और अब कर्ज चुकाने की हालत में नहीं हैं क्योंकि उनके पास कोई नियमित आमदनी नहीं है।
राजू ने कोर्ट को बताया कि “यंग इंडियन” नाम की जिस कंपनी ने बाद में एजेएल को अपने कब्जे में लिया, उसके संचालन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे बड़े नाम शामिल थे।
ईडी का आरोप है कि यह पूरा सौदा एक सुनियोजित चाल थी। करीब 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले एक ऐसी कंपनी का अधिग्रहण किया गया, जिसकी संपत्ति करीब 2000 करोड़ रुपये की थी। राजू के मुताबिक, इस डील में असल में कोई लेन-देन नहीं हुआ – सिर्फ कागज़ी घुमाव थे, ताकि कानूनी रूप से सब कुछ ठीक लगे।
ईडी ने इसे एक धोखाधड़ी और साजिश बताया है, जिसमें बड़ा आर्थिक फायदा कम लागत में उठाया गया।

यंग इंडियन के जरिए हुई डील पर सवाल
नेशनल हेराल्ड अखबार की कहानी आज सिर्फ एक पुराना प्रकाशन नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति का एक अहम अध्याय बन चुकी है। इसकी शुरुआत 1938 में हुई थी, जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे स्थापित किया। उस वक्त यह अखबार कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का प्रमुख माध्यम माना जाता था।
लेकिन वक्त के साथ हालात बदले। आर्थिक दिक्कतें बढ़ीं और आखिरकार साल 2008 में नेशनल हेराल्ड को बंद करना पड़ा। भारी कर्ज और कम होती आमदनी ने इस ऐतिहासिक अखबार को पूरी तरह थाम दिया।
कुछ साल बाद, 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में हलचल मचा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने ‘यंग इंडियन लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी बनाकर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की कीमती संपत्ति को बेहद सस्ते और संदिग्ध तरीके से अपने कब्जे में ले लिया।
स्वामी की शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की, जो अब एक बड़े कानूनी और राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है।