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पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपनाई नई रणनीति, रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया!

ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध में अब अमेरिका की भागीदारी से हालात और बिगड़ सकते हैं। इससे पश्चिम एशिया में तनाव गहराने की पूरी आशंका है, जिसका सीधा असर दुनियाभर में तेल की कीमतों पर पड़ेगा। इसी संभावना को भांपते हुए भारत ने पहले ही तैयारी शुरू कर दी है और जून महीने में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है, ताकि देश पर महंगे तेल का बोझ कम पड़े।

कभी सिर्फ 1%, अब भारत का 44% तेल रूस से

वैश्विक व्यापार विश्लेषक फर्म कैपलर के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जून महीने में रूस से प्रतिदिन लगभग 20 से 22 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है, जो पिछले दो वर्षों में किसी भी महीने का सबसे ऊंचा स्तर है। इसके मुकाबले मई में यह आयात मात्रा करीब 11 लाख बैरल प्रतिदिन थी। कभी भारत रूस से अपनी जरूरत का केवल 1% कच्चा तेल मंगाता था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। मौजूदा समय में भारत अपने कुल तेल आयात का लगभग 40 से 44 प्रतिशत हिस्सा रूस से प्राप्त कर रहा है — यानी हर दो बैरल में से एक अब रूस से आ रहा है।

सिर्फ खाड़ी नहीं, भारत ने शुरू की वैकल्पिक आपूर्ति की तैयारी

जून में जैसे ही पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ा, भारत ने भी अपनी तेल आयात रणनीति में तुरंत बदलाव किया। इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत जैसे खाड़ी देशों से भारत ने जून में करीब 20 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल खरीदा। लेकिन बढ़ते तनाव के बीच ये साफ है कि आने वाले दिनों में तेल की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।
ईरान पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर अमेरिका इस्राइल के साथ जंग में कूदता है, तो वह होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमला कर सकता है। ये वही रास्ता है, जहां से होकर भारत को उसका 40% से ज्यादा तेल मिलता है। इसके अलावा, ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में जहाजों को निशाना बना सकते हैं। ऐसे में खाड़ी देशों से तेल लाना मुश्किल हो सकता है।
इन्हीं खतरों को भांपते हुए भारत ने अब खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।

अमेरिकी तेल महंगा, फिर भी भारत बढ़ा रहा आयात

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल आयातक देश है। पहले भारत अपने अधिकांश तेल की आपूर्ति खाड़ी देशों से करता था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद स्थितियां बदल गईं। रूस ने जब भारत को तेल पर बड़ी छूट देना शुरू किया, तो भारत ने वहां से आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी कर दी।
अब भारत की तेल आपूर्ति केवल खाड़ी देशों पर निर्भर नहीं रही। रूस के अलावा अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों से भी भारत कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। हालांकि, अमेरिका से आयातित तेल की कीमत भारत के लिए अपेक्षाकृत अधिक पड़ती है।
कैपलर की रिपोर्ट के अनुसार, जून में भारत ने अमेरिका से प्रतिदिन करीब 4.39 लाख बैरल कच्चा तेल मंगाया, जबकि पहले यह आंकड़ा 2.80 लाख बैरल प्रतिदिन था। वर्तमान में भारत हर दिन लगभग 51 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात करता है, जिसे घरेलू रिफाइनरियों में प्रोसेस कर पेट्रोल और डीज़ल जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं।

रिपोर्ट:- कृष्णा त्यागी

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