शामली। केंद्र सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा वर्ष 2000 में थाई मांगुर मछली पर सख़्त प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद शामली ज़िले के कैराना क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों में इसका पालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। प्रशासन की आंखों के सामने यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार थाई मांगुर मछली मानव शरीर के लिए ज़हर के समान है। इसके सेवन से लीवर और किडनी जैसे अंगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। बावजूद इसके यह मछली खुलेआम मंडियों और स्थानीय बाज़ारों में बिक रही है।
प्रशासनिक चुप्पी बनी सवालों के घेरे में
जानकारी के मुताबिक, कैराना क्षेत्र में कई स्थानों पर थाई मांगुर की अवैध फार्मिंग की जा रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इन मछलियों को गंदे पानी में पाला जा रहा है और यह मछलियाँ तेज़ी से बढ़ती हैं, जिससे मुनाफा अधिक होता है। यही वजह है कि प्रतिबंध के बावजूद लोग इसका पालन कर रहे हैं।
क्या है थाई मांगुर पर प्रतिबंध का कारण?
थाई मांगुर एक आक्रामक प्रजाति की मछली है, जो दूसरी देशी मछलियों को खा जाती है और स्थानीय जल जीवन के लिए खतरा बन जाती है। यही नहीं, इसके पालन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल और फीड मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह माने जाते हैं।
जनता ने की सख्त कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने जिला प्रशासन से इस पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन जागेगा या थाई मांगुर का यह ज़हर यूं ही लोगों की थाली तक पहुँचता रहेगा?