नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भड़काऊ भाषण के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत जेल में बंद डॉ कफील खान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामेल की मेरिट पर तेजी से विचार करने और सुनवाई करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि कफील खान को रिहा किया जा सकता है या नहीं, इस पर भी विचार करें।
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा कि वह इस मामले की मेरिट पर तेजी से विचार एवं सुनवाई करे और 15 दिनों भीतर यह गौर करे कि डॉ कफील खान को रिहा किया जा सकता है या नहीं। एनएसए के तहत जेल में बंद कफील खान की रिहाई को लेकर डॉ कफील की मां नुज़हत परवीन ने सु्प्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।
कफील खान को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए कफील खान को एनएसए के तहत जेल में बंद किया गया है। एएमयू में सीएए को लेकर 15 दिसंबर को हुए बवाल के बाद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर कफील खान छात्रों के समर्थन में विश्वविद्यालय पहुंचे थे।
आपको बता दे कि डॉ. कफील पर आरोप है की उन्होंने विवि के बाब ए सैयद गेट पर आयोजित सभा के दौरान छात्रों को भड़काऊ भाषण देकर भड़काने का प्रयास कियाा था। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की थी। मामले में सिविल लाइंस थाना में मुकदमा दर्ज किया गया था। 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ ने डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें एक फरवरी को अलीगढ़ लाया गया था। कुछ समय बाद ही उनको मथुरा जेल भेज दिया गया था। 10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट से कफील को जमानत मिल गई, लेकिन तीन दिन तक उसे रिहा नहीं किया गया, बल्कि प्रशासन ने कफील पर रासुका की कार्रवाई कर दी। इसके बाद लखनऊ एडवाइजरी बोर्ड का डीएम और एसएसपी को पक्ष सुनने के बाद एनएसए को सही माना था।