बिहार के केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक घटनाक्रम संभव है। उनका इशारा महाराष्ट्र में एनसीपी में हुए विभाजन और अजित पवार के बीजेपी से गठबंधन की ओर था। पारस का मानना है कि बिहार में भी ऐसी स्थिति बन सकती है, जहां जेडीयू के विधायक बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भी इस संभावना को बल दिया है। उन्होंने कहा कि जेडीयू के विधायक न तो राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे और न ही तेजस्वी यादव को, जिससे पार्टी में भगदड़ की आशंका है। इसके चलते नीतीश कुमार ने विधायकों से वन-टू-वन मुलाकातें शुरू कर दी हैं।
हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि बिहार की स्थिति महाराष्ट्र से अलग है। यहां की सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए बीजेपी गठबंधन में नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने की पक्षधर है। उनका कहना है कि बिहार में बीजेपी के लिए अकेले चुनाव लड़ना और मुख्यमंत्री बनाना आसान नहीं होगा।
इस बीच, राजनीतिक विश्लेषक भी इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि नीतीश कुमार की चुप्पी और कांग्रेस के साथ बढ़ती नजदीकियां संकेत देती हैं कि वह भविष्य में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। हालांकि, जेडीयू और बीजेपी के नेता इसे अफवाह मानते हुए गठबंधन में स्थिरता की बात कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति में आगामी दिनों में कई बदलाव संभव हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच गठबंधन की दिशा किस ओर जाती है।