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“नागपुर जल उठा: औरंगजेब विवाद के बीच अफवाह के बाद हिंसा, पथराव और आगजनी से दहशत”

जिसका डर था आखिर वही हुआ पिछले कई दिनों से हिंदू संगठनों ने जो माहौल बनाया था आखिर वह हिंसा में तब्दील हो ही गया VHP और बजरंग दल बयान देकर लगातार माहौल को गर्म करने में लगे थे और उसका नतीजा यह हुआ कि आज नागपुर में औरंगजेब पुतला जलाने के बाद दो समुदायों में हिंसा हुई अफवाह यह फैलाई गई के कुरान जलाए गई है सवाल यह उठता है कि 300 साल पुरानी बात को उठाकर महाराष्ट्र जैसे शांतिप्रिय राज्य का माहौल खराब करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान ना दें और शांति बनाने में पुलिस प्रशासन का सहयोग करें
महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब से जुड़ी विवादित टिप्पणियों के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, जिससे शहर में हिंसा भड़क उठी। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक धार्मिक किताब जलाने की अफवाह के बाद दो गुटों के बीच झड़प हो गई, जिसके परिणामस्वरूप पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं
क्या है पूरा मामला?
विवाद की शुरुआत समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी के बयान से हुई, जिसमें उन्होंने औरंगजेब का उल्लेख किया था। इस बयान के विरोध में शिवसेना ने प्रदर्शन किए और उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग उठाई। इस बीच, बाबा रामदेव ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि औरंगजेब “क्रूर शासक” था और उसकी विरासत पर चर्चा करना व्यर्थ है
नागपुर में आखिर हिंसा क्यों भड़की?

धार्मिक किताब जलाने की अफवाह: सोशल मीडिया पर फैली एक अफवाह ने हिंसा को बढ़ावा दिया।

पथराव और आगजनी: दो समुदायों के बीच टकराव हुआ, जिसमें पुलिस को हालात संभालने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए

स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और पुलिस मामले की जांच कर रही है। राजनीतिक दलों के बीच भी इस मुद्दे को लेकर तीखी बयानबाजी जारी है।

इस विवाद ने महाराष्ट्र में सामाजिक और राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है, और आने वाले दिनों में इस पर और बहस हो सकती है।

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