बांका जिले में महिलाओं की आवाज़ अब आंदोलन बन चुकी है। ‘महिला संवाद कार्यक्रम’ ने सशक्तिकरण की एक नई इबारत गढ़ दी है, जो आज अपने 51वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस महाअभियान की धमक जिले के कोने-कोने तक पहुंच रही है। आज जिले के सभी 8 प्रखंडों के चयनित 28 ग्राम संगठनों में यह संवाद कार्यक्रम पूरे जोश और प्रतिबद्धता के साथ आयोजित हुआ।
यह ऐतिहासिक पहल 18 अप्रैल 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शुरू हुई थी और ग्रामीण विकास विभाग के मार्गदर्शन में निरंतर गतिशील है।
3 लाख महिलाओं की भागीदारी, जीविका ने रचा इतिहास
नीतिगत बदलाव की ओर बढ़ते ठोस कदम
महिलाओं की मांगें न केवल उनकी ज़मीनी ज़रूरतों को दर्शाती हैं, बल्कि भविष्य की योजनाओं को आकार देने वाली स्पष्ट दिशा भी प्रदान करती हैं:
- पेंशन और छात्रवृत्ति: वृद्धा एवं विधवा पेंशन को ₹2,500 प्रतिमाह, साइकिल योजना को ₹5,000 और पोशाक योजना को ₹2,500 करने की ज़ोरदार मांग
- आवास और स्वच्छता: प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि ₹3.5 लाख करने और शौचालय निर्माण के लिए ₹25,000 की सहायता की अपील।
- स्वास्थ्य और खेल: हर पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और खेल मैदान की स्थापना को लेकर भारी समर्थन।
- बुनियादी सुविधाएं: नल-जल योजना को समयसीमा में पूरा करने, सोलर लाइट लगाने और हर परिवार को प्रति माह 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांगें ज़ोर-शोर से उठीं।
- राशन और रोजगार: राशन कार्ड से वंचित परिवारों को जोड़े जाने और मनरेगा की मज़दूरी ₹500 प्रतिदिन करने की अपेक्षा।
- उच्च शिक्षा: जिले में एक सरकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग, शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है
सामाजिक बदलाव की ओर दृढ़ क़दम
महिलाओं ने केवल विकास योजनाओं की बात नहीं की, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध भी खुलकर आवाज़ उठाई। जल-जमाव, खराब सड़कों, सामुदायिक भवनों, पुस्तकालयों की ज़रूरत, स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभता और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से रखा गया
जीविका के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि महिलाओं द्वारा उठाए गए हर मुद्दे को संबंधित विभागों तक पहुँचाया जाएगा और समाधान की दिशा में गंभीर प्रयास होंग
महिला नेतृत्व की ओर एक निर्णायक पहल
बिहार सरकार की यह दूरदर्शी पहल महिलाओं को आत्मनिर्भरता, नेतृत्व और सामाजिक चेतना की दिशा में आगे बढ़ा रही है। महिला संवाद कार्यक्रम न केवल एक जागरूकता अभियान है, बल्कि यह समाज में स्थायी, समावेशी और जनभागीदारी पर आधारित परिवर्तन की नींव भी रख रहा है। मनोरंजन प्रसाद, ब्यूरो चीफ, बांका।
