24 मुकदमे और दो बार के तड़ीपार शानू को बीजेपी में शामिल होते ही मिली पुलिस सुरक्षा……

फसाहत अली खां शानू पर फयतीमखाना और डूंगरपुर मामले में कई संगीन धाराओं में 24 मुकदमे दर्ज थे। तब उन्हें 30 नंवबर 2019 को प्रशासन ने जिला बदर घोषित किया था। समय पूरा होने पर जब वह वापस लौटे, तो कई मुकदमे होने की वजह से 2020 में जेल भेज दिया गया था। उस समय उनके ‌पिता का निधन हुआ था, उन्हें पेरोल भी नहीं मिली थी।

13 मई को हुए थे दोबारा तड़ीपार
पुलिस की ओर से 16 अगस्त 2021 को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की संस्तुति की गई थी । पुलिस ने गंज थाना में दर्ज पांच मुकदमों का जिक्र किया था। इसमें उन पर घर में घुसकर मारपीट करने और धमकाने, डकैती डालने का आरोप लगाते हुए शातिर किस्म का अपराधी बताया था।
पुलिस का आरोप था कि शाान की आपराधिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। उन्होंने जनता में भय फैलाया है। शानू के खिलाफ कोई भी व्यक्त‌ि रिपोर्ट दर्ज कराने का साहस नहीं जुटा पा रहा है। इसलिए उसका सामाज में उचित ढंग से घूमना ठीक नहीं है।

पुलिस की इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरू की थी। शानू को नोटिस जारी हुआ। आरोपी की ओर से उनके अधिवक्ता ने आरोपों को खंडन किया था। अ‌भियोजन पक्ष ने इस आरोप को सही बताया था। एडीएम प्रशासन ने मामले की सुनवाई की थी।
एडीएम प्रशासन लालता प्रसाद शाक्य ने 13 मई 202 को फसाहत अली खां शानू को छह महीने के लिए जिला बदर घोषित कर दिया। शानू के साथ सपा कार्यकर्ता रानू खां और तालिब को भी जिला बदर कर दिया गया था।

25 अक्टूबर 2022 को जिला बदर की सजा पूरी कर लौटे थे
शानू 25 अक्टूबर 2022 को ही जिलाबदर का समय पूरा कर घर लौटे थे। उन्होंने 21 नवंबर को बीजेपी ज्वाइन कर लिया। उन्हाेेंने यह भी कहा था, अब्दुला अब दरी नहीं बिछाएगा। उसकी सुरक्षा की गारंटी सरकार की है। इस पर शानू को सुरक्षा मिल गई। पुलिस अधीक्षक आशोक कुमार शुक्ला ने मीडियो को बताया की शानू सपा छोड़कर भाजपा में आए हैं, इसलिए उनको जान का खतरा बताया गया है।
अखिलेश यादव के खिलाफ बयान देने पर सुर्खियों में आए थे शानू
अप्रैल 2022 में ‌सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ बयान देने के चलते फसाहत खान शानू सुर्खियों में आये थे। उन्‍होंने कहा था, “आजम खान के बाहर जेल से बाहर न आने से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं। हम कहां जाएंगे और किसको अपना गम बताएंगे।
हमारे साथ तो समाजवादी पार्टी भी नहीं है, जिसके लिए हमने खून बहाया है। हमारे नेता (आजम खान) ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने आजम खान के लिए कुछ नहीं किया। वोट भी अब्दुल देगा, जेल भी अब्दुल जाएगा, अब्दुल बर्बाद हो जाएगा, अब्दुल के घर की कुर्की हो जाएगी, क्या सारा ठेका मुसलमान ने ले रखा है।

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