नावकोठी/बेगूसराय/ संवाददाता
प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत समसा पंचायत भवन में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती मनाई गई। अध्यक्षता पूर्व मुखिया सह भगतसिंह विचार मंच के संरक्षक मंडल सदस्य रवीन्द्र सिंह ने की।संचालन धर्मेन्द्र कुमार ने किया।प्रलेश के राज्य कार्यकारिणी सदस्य ललन लालित्य ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां हमेशा याद आती हैं।कथा सम्राट की जितनी उपयोगिता गुलाम भारत में थी,उतनी जरूरत आज भी है।वे अनुभूति की सच्चाई लिखते थे।उन्होंने अपनी रचना में जनसाधारण लोगों को कहानी का पात्र बनाया जिसमें चारित्रिक विशेषताएं होती थीं। प्रेमचंद बिना भय का लिखते थे।महान उपन्यासकार,कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती शहीद भगत सिंह मेमोरियल कमेटी के बैनर तले मनायी गयी।वहीं रवीन्द्र सिंह ने मुंशी प्रेमचंद की तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर प्रेमचंद को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि समाज की कुरीतियों, ग्रामीण परिवेश का हूबहू चित्रण उनकी कथा की विशेषता है।प्रेमचंद के फटे जूते उनकी सादगी का गवाह है,जिसकी चर्चा साहित्यकारों ने की है। उमेश कवि ने कहा कि उस समय सामंतवादी व्यवस्था थी।हमारे देश में भगत सिंह थे तो प्रेमचंद भी थे। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों को आज भी उपयुक्त बताया।बीपीएस पब्लिक स्कूल नावकोठी के उप प्राचार्य सुशील कुमार ने कहा कि प्रेमचंद हिन्दी और ऊर्दू कथाकार, उपन्यासकार और विचारक थे।सेवा सदन और गोदान जीवन की सच्चाई है।उन्होंने प्रेमचंद को साहित्य की नींव का पत्थर माना।उन्होंने प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय देते हुए कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में आदर्शवाद और यथार्थवाद का वर्णन है। उनकी रचनाओं में दलित विमर्श,कृषक विमर्श एवं स्त्री विमर्श देखने को मिलता है।प्रो राज किशोर प्रसाद ने कहा कि प्रेमचंद ने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं।वहीं पंसस गौतम गोस्वामी ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में दूध का दाम कहानी पर विस्तृत चर्चा की।वहीं उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं समाज से जुड़ी हुई हैं इसलिए उनकी रचनाएं कालजयी हैं।वहीं मनीष पाठक ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यासों में तत्कालीन समाज की व्यथा कथा बिम्बित होती है।इस दौरान पूर्व मुखिया मुक्ति नारायण सिंह,डॉ सीता राम पंडित,पत्रकार प्रो हरे राम सिंह,सुधांशु, नवीन कुमार मिश्र, रामाश्रय प्रसाद सिंह आदि ने अपना-अपना विचार प्रकट किया।
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती मनाई गयी
