कैराना: सट्टे का साम्राज्य! मेरठ और देवबंद में बैठे ‘किंग’ कस्बे की गलियों में फैला एजेंटों का जाल!

कैराना। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का छोटा सा कस्बा कैराना अब सट्टेबाजी के कारोबार में नया हब बनता जा रहा है। स्थानीय सूत्रों और खुफिया जानकारी के मुताबिक, यहां सट्टे का ऐसा सुनियोजित नेटवर्क तैयार हो चुका है, जिसमें एक सिरा मेरठ और दूसरा देवबंद तक जुड़ा हुआ है। इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है लाला कुच्छल, जो मेरठ में बैठकर पूरे कैराना को सट्टे के नक्शे पर चला रहा है।

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कस्बे की हर गली में एजेंट, मोहल्लों में खईवालों की भरमार!

कैराना कस्बे के आल कलां, आर्यपुरी, घोसा चुंगी, मोहल्ला जोगियान, अंसारीयान, मोहल्ला कायस्थान, लाल कुआं, बेदो वाला कुआं, झिंझाना रोड, थाने वाली गली और स्टेशन रोड जैसे इलाकों में दर्जनों एजेंट सट्टेबाजी की गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ये एजेंट लाला कुच्छल और उसके दूसरे साथी – ‘देवबंद का सट्टा किंग’ – के इशारों पर काम करते हैं।

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ऑनलाइन सट्टा: अब खइवाल भी हो गए टेक्नोसेवी!

सूत्रों की मानें तो सट्टे का यह कारोबार अब पारंपरिक तरीकों से आगे निकल चुका है। तीन से चार खइवाल मिलकर एक पूरा डिजिटल नेटवर्क चला रहे हैं। दर्जनों जगहों पर ऑनलाइन सट्टे की छोटी-छोटी यूनिट्स काम कर रही हैं, जहां से नंबरों का खेल, ऐप्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स के ज़रिए करोड़ों का काला कारोबार चल रहा है।

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कस्बे में सट्टे की इतनी तेज़ी से बढ़ती गतिविधियों के बावजूद पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। क्या पुलिस बेबस है, आए दिन मोहल्लों में खइवालों की संख्या बढ़ती जा रही है और अभी तक किसी भी बड़े नाम पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

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युवाओं का भविष्य दांव पर!

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि इस सट्टे के दलदल में सबसे ज़्यादा युवा फंसते जा रहे हैं। मोबाइल में नंबरों की चिट्ठियां, गली-गली घूमते खइवाल, और हर रोज़ बदलते रेट – यह सारा जाल युवाओं को लुभा रहा है। बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा इस दलदल में ऐसा फंस रहे हैं कि नशे, अपराध और कर्ज़ की दुनिया में खुद को तबाह कर रहे हैं।

कस्बे का नया नाम – ‘सट्टा नगरी कैराना’?

हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि कैराना को अब ‘सट्टा नगरी’ कहा जाने लगा है। लोग दबी ज़ुबान में इस बात को मान भी रहे हैं, लेकिन कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं, क्योंकि ये नेटवर्क अब खौफ पैदा करने लगा है।

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प्रशासन कब जागेगा?

अब सवाल यही उठता है – प्रशासन कब सख्त कार्रवाई करेगा? लाला कुच्छल और उसके देवबंद वाले साथी को कब पकड़ा जाएगा? और क्या कैराना को सट्टा मुक्त बनाने के लिए कोई ठोस मुहिम चलेगी या फिर ये खबरें भी बाकी ज़िलों की तरह फाइलों में ही दबी रह जाएंगी?

> जारी रहेगा खुलासा – अगले भाग में पढ़िए: कौन है ये ‘लाला कुच्छल’? कैसे बना मेरठ का सट्टा सम्राट?

कौन है लाला कुच्छल? मेरठ से कैराना तक फैला सट्टे का सम्राट!

मेरठ का मास्टरमाइंड लाला कुच्छल:

लाला कुच्छल—नाम सुनते ही पश्चिमी यूपी के सट्टेबाजों की रगों में हलचल दौड़ जाती है। एक समय में मामूली नंबर लिखने वाला यह शख्स अब मेरठ के एक पॉश इलाके से कैराना समेत कई जिलों में सट्टे का रिमोट कंट्रोल चला रहा है। कुच्छल ने पिछले कुछ सालों में अपना नेटवर्क इतना बड़ा कर लिया है कि उसके खिलाफ बोलने से लोग डरते हैं।

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सादा वेश, आलीशान जिंदगी:

कुच्छल आम आदमी की तरह दिखता है—सादा कपड़े, खादी का झोला और माथे पर तिलक, लेकिन इसके पीछे छुपी है एक करोड़ों की काली कमाई। मेरठ में इसके नाम से कई कोठियां हैं, और बताया जाता है कि दिल्ली, हरिद्वार और सहारनपुर में भी इसके गुप्त ठिकाने हैं, जहां से वह अपने एजेंटों को कंट्रोल करता है।

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कैराना में क्यों फैला कुच्छल का जाल?

कैराना में बेरोजगारी, कमजोर कानून व्यवस्था और स्थानीय नेटवर्क के कारण कुच्छल को यहां ज़मीन तैयार मिली। उसने स्थानीय युवाओं को पैसों का लालच देकर अपना खइवाल बनाया, जो अब मोहल्ला-मोहल्ला घूमकर नए नंबर काटते हैं। कुच्छल खुद सामने नहीं आता, लेकिन उसका ‘सिग्नल’ आते ही पूरा नेटवर्क एक्टिव हो जाता है।

देवबंद का ‘साझेदार’: ‘छोटा मौलवी’ का नाम सामने!

सूत्रों के मुताबिक, लाला कुच्छल का एक नज़दीकी साथी देवबंद में बैठा है, जिसे ‘छोटा मौलवी’ कहा जाता है। यह शख्स धार्मिक वेश में रहकर कैराना के मुस्लिम बहुल मोहल्लों में सट्टे का पूरा ताना-बाना संभाल रहा है। कुच्छल और मौलवी मिलकर पूरे जिले को अपने शिकंजे में ले चुके हैं।

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सत्ता से संबंध?

कई स्थानीय लोगों का दावा है कि लाला कुच्छल के संबंध कुछ राजनीतिक चेहरों से भी हैं। तभी तो कई बार पुलिस ने इसके खिलाफ छापेमारी की योजना बनाई, लेकिन ऐन मौके पर ‘सूचना लीक’ हो जाती है। सवाल उठता है – क्या लाला कुच्छल सिर्फ एक सट्टेबाज है, या सियासी संरक्षण में पनप रहा एक अपराध सम्राट?

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खइवाल कैसे बनते हैं?

एजेंट बनने की ‘प्रेरणा’: बेरोजगारी और लालच

कैराना में सट्टे के इस नेटवर्क का सबसे मज़बूत हिस्सा हैं – खइवाल, यानी वो एजेंट जो गली-गली घूमकर नंबर काटते हैं, रेट बताते हैं और कलेक्शन करते हैं। ज़्यादातर खइवाल 18 से 30 वर्ष के बेरोज़गार युवक हैं, जिन्हें कुच्छल के स्थानीय ठेकेदार मोटी कमीशन और ‘गुंडा गारंटी’ देकर भर्ती करते हैं।

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भर्ती का तरीका: एक सिफारिश, एक मोबाइल, एक झोला और बन गए खइवाल!

जो युवा थोड़ा तेज़-तर्रार हो, दो-चार लड़कों से जान-पहचान रखता हो, उसके लिए खइवाल बनना आसान है। उसे एक पुराने मोबाइल में ‘सॉफ्टवेयर लिंक’ भेजा जाता है, जिससे वह नंबर की एंट्री करता है। इसके साथ ही एक झोला, कुछ पर्चियां, और ‘रेट कार्ड’ मिलता है। एक एजेंट प्रतिदिन 300 से 1000 रुपये तक कमा सकता है – सिर्फ नंबर काटकर।

खइवालों के ‘बॉस’: लोकल ठेकेदार

हर मोहल्ले में एक लोकल ठेकेदार बैठा है, जो कुच्छल और देवबंद के सट्टा किंग के लिए काम करता है। यही ठेकेदार नए लड़कों की भर्ती करता है, पैसे जमा करता है, और पुलिस की ‘सेटिंग’ भी देखता है। ये लोग आम आदमी की तरह दिखते हैं, लेकिन इनके पास गाड़ियों का काफिला और हथियारबंद गुर्गे रहते हैं।

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कैराना को बचाने की ज़रूरत!

सट्टे के इस संगठित कारोबार ने कैराना के सामाजिक ढांचे को हिला दिया है। युवा पीढ़ी लालच और अपराध के रास्ते पर, मोहल्लों में अपराधीकरण, और पुलिस की निष्क्रियता – ये संकेत हैं कि अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो कैराना सट्टे का अड्डा बनकर रह जाएगा।

कैराना का भविष्य खतरे में! सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों की अपील, और प्रशासन से सवाल!

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कैराना का भविष्य खतरे में!

समाज की चेतावनी और प्रशासन से बड़ी अपील

कैराना: एक कस्बा, जो सट्टे की दलदल में फंसता जा रहा है

कभी सांस्कृतिक और व्यापारिक दृष्टि से पहचान रखने वाला कैराना, अब सट्टेबाजी और जुर्म के नए नाम से पहचाना जाने लगा है। हर गली में खइवाल, हर नुक्कड़ पर नंबर, और हर घर में चिंता। जहां एक ओर ये धंधा सट्टेबाजों को अमीर बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक पूरी पीढ़ी का भविष्य तबाह होता दिख रहा है।

मोहल्लों में डर का माहौल, लोग बोले – “बच्चों को बाहर भेजने से डरते हैं”

आर्यपुरी की एक महिला का कहना है, “अब तो हालत ऐसी हो गई है कि बच्चों को स्कूल भेजते समय भी डर लगता है। हर नुक्कड़ पर खइवाल खड़े रहते हैं, जो बच्चों से दोस्ती करने की कोशिश करते हैं। कई बच्चे तो खुद ही नंबर काटने लगे हैं।”

सामाजिक संगठनों ने चेताया:

“अगर नहीं रुका सट्टा, तो होगा जन आंदोलन”

कैराना के कुछ सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने अब खुलकर मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। आर्य समाज, मुस्लिम बुद्धिजीवी मंच, और युवा जन कल्याण समिति जैसे संगठनों ने प्रशासन को खुली चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सट्टे का नेटवर्क नहीं तोड़ा गया, तो पूरे नगर में जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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शिक्षकों की चिंता

: “पढ़ाई की जगह बच्चे नंबर और रेट याद करते हैं”

एक स्थानीय शिक्षक ने बताया, “अब बच्चों से पूछो कि दो का पहाड़ा सुनाओ, तो वो चुप हो जाते हैं, लेकिन सट्टे के ‘खुले’ और ‘झाड़ी’ के नंबर रट चुके हैं। ये कैसा समाज बना रहे हैं हम?”

प्रशासन से पांच बड़ी माँगें

1. स्पेशल टास्क फोर्स गठित हो, जो कैराना से लेकर मेरठ और देवबंद तक सट्टेबाजों का नेटवर्क तोड़े।

2. हर मोहल्ले में सख्त निगरानी, खासकर स्कूलों और धार्मिक स्थलों के आसपास।

3. ऑनलाइन सट्टे के ऐप्स और ग्रुप्स की ट्रैकिंग, साइबर क्राइम टीम की सहायता से।

4. खइवालों की पहचान और गिरफ्तारी, विशेष कर नाबालिगों को इससे दूर रखने की योजना।

5. सामाजिक जागरूकता अभियान, जिसमें विद्यालय, धर्मस्थल और मीडिया को जोड़ा जाए।

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