संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में हिंसक प्रदर्शनों की आग भड़क रही है तो इसके बीच से अमन व भाईचारे की रोशनी भी दिख रही है। देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इस हिंसा को रोकने के लिए आगे आ रहे हैं। दिल्ली में कॉलेज प्रिंसिपल, छात्र, धर्मगुरु से लेकर कूड़ा बीननेवाली ने मानवता की मिशाल पेश कीं तो वेस्ट यूपी में शहर मुफ्ती व शिक्षाविद आगे आए। ग्रेटर नोएडा और बेंगलुरु में पुलिस अधिकारियों ने अमन की लौ जलाई तो लखनऊ में अस्पताल के फार्मासिस्ट ने जान जोखिम में डाल दूसरे को बचाया। ऐसे ही कुछ शख्सियतों से एक मुलाकात-
मस्जिद से की घर जाने की अपील पर लौटे लोग
हाफिज मोहम्मद जावेद मस्जिद नबी बख्श में नमाज पढ़ाते हैं। 48 वर्षीय जावेद स्थानीय स्तर पर अधिकांश लोगों को जानते हैं। दरियागंज स्थित डीसीपी आफिस के पास शुक्रवार शाम को प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई। इस हिंसा को रोकने के लिए जिन स्थानीय लोगों ने पहल की, उनमें एक हाफिज मोहम्मद जावेद हैं। शुक्रवार को भीड़ जामा मस्जिद पर इकट्ठी होनी शुरू हुई। तभी मोहम्मद जावेद ने मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर से लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील की। फिर उन्होंने दुआ में मुल्क की खैरियत की दुआ मांगते हुए लोगों से अपने घरों की तरफ जाने की अपील की। इस अपील का असर हुआ और स्थानीय लोग धीरे-धीरे अपने घरों की तरफ बढ़ने लगे।
दिल्ली के कॉलेज की प्रिंसिपल ने समझाया- दोस्त बनें दुश्मन नहीं
डॉ. प्रत्यूष वत्सला डीयू के रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में प्रिंसिपल हैं। वह देश समाज को जोड़ने के लिए अपने स्तर पर कई सामाजिक कार्य करती हैं। नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, उन्होंने कॉलेज की फेसबुक वाल पर छात्र-छात्राओं को संबोधित करती हुई अपील जारी की।
उन्होंने लिखा कि मेरे प्रिय युवा छात्र-छात्राओं, मैं जानती हूं कि आजकल आप देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए या तो सड़क पर उतर चुके हैं या घर में हैं। केवल इसी बारे में सोचकर रात को सोते भी नहीं और अत्यधिक तनाव में हैं। आजकल आपके संदेश और फ़ोन की बातचीत का विषय भी केवल देश और उसकी धर्मनिरपेक्षता है। मैं आपके जज्बे की कद्र करती हूं, आप समर्थन में हो या विरोध में, आपको याद दिलाना चाहती हूं कि आपके देश में सबसे बड़ा धर्म अहिंसा है। आप ऐसे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा न बनें, जिसमें आप अपना या अपनों का खून बहाएं और जान की बाजी लगा दें और आपके अपने ही देश और अपने समाज पर दुनिया हंसे। हिंसा किसी भी ओर से हो, हमें कुछ भी हासिल नहीं होगा। आप बेशक सरकार का या जिसका चाहे उसका विरोध करें। शांतिपूर्ण विरोध और असहमति आपका अधिकार है जो हमारे संविधान ने हम सबको दिया है। किन्तु, जज्बातों को और असामाजिक तत्वों को अपनी बुद्धि पर हावी ना होने दें।
अफवाहों से बचने और अमन की अपील की
खालिद बाबा लंबे समय से उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाके में अमन कमेटी के लिए काम करते हैं। मंगलवार को सीलमपुर में हिंसक प्रदर्शन के बाद खालिद बाबा अमन के सिपाही रहे। वह लगातार पुलिस के फ्लैग मार्च में शामिल होकर इलाके के लोगों से अफवाहों से बचने और अमन व शांति की अपील करते रहे। वह खुद इलाके के लोगों के साथ बैठक कर उन्हें अपने बच्चों को सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों से बचने की सलाह देते रहे। शनिवार सुबह भी वह लोगों से अपने कारोबार को शुरू कर इलाके में शांति बनाए रखने की अपील की। डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या ने उन्हें धन्यवाद दिया।
व्हाट्स एप पर संभाली अफवाह रोकने की कमान
सिविल डिफेंस में काम करने वाले शादाब बाड़ा हिंदुराव इलाके में रहते हैं। नए कानून पर हो रहे प्रदर्शनों को देखते हुए उन्होंने अपने इलाके के युवाओं को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा और हिंसा से दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं। वह इस काम में काफी सफल भी रहे हैं। 29 साल के शादाब की कोशिशों का असर भी हुआ है। बाड़ा हिंदुराव और इससे जुड़े पहाड़ी धीरज, कसाबपुरा, कुरैश नगर और बारा टूटी चौक के इलाके में हिंसक प्रदर्शन नहीं हुआ। शुक्रवार को तो लोग नमाज अता करने के बाद सीधे अपने घरों में चले गए।
प्रदर्शनकारी लड़की ने फूल देकर पुलिस का गुस्सा उतारा
एक तरफ जहां पुलिस की बर्बरता की कहानियां देशभर में सुनाई देती हैं, दिल्ली में विरोध करनेवाली लड़की के सामने पुलिस का दल हंसी-खुशी दिख रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.ए. की 21 वर्षीया छात्रा श्रेया प्रियम को इस बात का जरा भी गुमान नहीं था कि जंतर मंतर पर पुलिस दल को उसके द्वारा गुलाब का फूल पेश करने की फोटो इंटरनेट पर छा जाएगी। लेकिन ऐसा ही हुआ।
हुआ यूं कि गुरुवार को जेएनयू, डीयू और अन्य कई शिक्षण संस्थानों के छात्र संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने के लिए जंतर-मंतर पर थे। इसी दौरान श्रेया रॉय को अपने दोस्त से जामिया मिलिया के छात्रों पर पुलिस दमन की की सूचना मिली। इसके बाद उसने इसका विरोध करने का मन बना लिया। श्रेया कहती हैं, ‘मैंने फूल देकर उन्हें यह संदेश दिया कि छात्र हिंसक नहीं होते हैं। हम केवल सरकार की नीतियों का शांतिर्पूवक विरोध कर रहे हैं।’
कहीं पूर्व छात्रों ने संभाला मोर्चा
जामिया नगर, जामा मस्जिद, जाफराबाद और सीलमपुर इलाके में चल रहे प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाए रहने को लेकर गुरुवार रात से ही कवायद चलती रही। जामा मस्जिद इलाके में चल रहे प्रदर्शन के दौरान शुक्रवार देर शाम हालात अचानक से बदल गए और तोड़फोड़, आगजनी शुरू हो गई।
पूर्व छात्रों (एल्यूमनी) ने छात्रों को समझाने के लिए मोर्चा संभाला। कई इलाकों में अमन कमेटी सहित तमाम सामाजिक व धार्मिक संगठन के लोग शांति बैठक कर अमन-चैन की अपील करते रहे। जामिया में सीनियर लगातार सोशल नेटवर्किंग साइट से लेकर इलाके में भी बैठकें करके माहौल को शांतपूर्ण बनाए रखने में जुटे हुए थे। वे छोटी-छोटी टुकड़ियों मे बैठक कर अपील करते रहे। इसके अलावा पुलिस के लोगों के साथ भी इनकी बैठकें हुईं। इसके चलते जामिया में हालात शांतिपूर्ण रहे।
धर्मगुरुओं ने समझाया
दूसरी तरफ मस्जिदों से भी इलाके में अमन-चैन की अपील की गई। कई धार्मिक संगठनों के प्रमुखों व गुरुओें ने व्यवस्था को सामान्य बनाने की पुरजोर कोशिश की। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने इलाके के वालंटियर्स को लेकर लगातार लोगों को समझाने-बुझाने में जुटे थे। इसका दिनभर असर भी देखने मिला।