उत्तरकाशी। सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भ्रूण लिंगानुपात के आंकड़ों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा अपने ही मकड़जाल में फंस गया है। तीन दिन पहले प्रशासन ने जनपद में 622 प्रसव होने की बात कही थी, लेकिन रविवार को जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जनपद में कुल प्रसव की संख्या 961 बताई। नए आंकड़े में बालिकाओं की संख्या बेहतर होने का दावा किया है। पर, इन आंकड़ों से इतर जिन गांवों को प्रशासन ने रेड जोन में रखा है, उन गांवों की धरातलीय स्थिति और प्रशासन के आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर है।
जिला सभागार में बीती 18 जुलाई को जिलाधिकारी ने भटवाड़ी, मोरी, पुरोला, नौगांव, चिन्यालीसौड़ और डुंडा ब्लाकों से आई आशाओं की बैठक ली थी। इसमें आशा रिसोर्स सेंटर की ओर से अप्रैल से जून तक जनपद में 622 प्रसव होना बताया, जिनमें 236 लड़कियां और 386 लड़कों का जन्म होने की बात कही गई। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया कि 133 गांवों में 216 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें एक भी लड़की नहीं थी। इस पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। लेकिन अब मातृ प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य की तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जून तक 961 प्रसव हुए, जिसमें 468 बालक और 479 बालिका का जन्म हुआ है। इसमें 14 शिशुओं की मौत हुई है। इस तरह से मातृ प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य की तिमाही रिपोर्ट और आशा रिसोर्स सेंटर की तिमाही रिपोर्ट पूरी तरह से असंतुलित है।
स्वास्थ्य विभाग ने ब्लाकों को लेकर एक और आंकड़ा प्रस्तुत किया है, जिसमें एक माह में 935 प्रसव दर्शाए गए हैं। इसका जिक्र खुद जिलाधिकारी ने भी अपने बयान में किया है। रविवार को पत्रकारों से बातचीत में जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि अप्रैल से जून तक की तिमाही में लिंगानुपात जनपद में बेहतर है। इस भ्रूण लिंगानुपात के अनुसार 1000 बालक के सापेक्ष 1024 बालिकाएं हैं। 129 गांवों में 180 प्रसव हुए, जिनमें सभी बालिकाओं का जन्म हुआ है।
कुल मिलाकर भ्रूण लिंगानुपात को लेकर जो अलग-अलग आंकड़े सामने आए हैं, उससे यह तो तय है कि इनको सार्वजनिक करने से पहले न तो जिला प्रशासन ने इसकी पड़ताल की ओर न स्वास्थ्य महकमे ने। लिहाजा अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग आंकड़ों के मकड़जाल में फंस गया है। जबकि इन सभी आंकड़ों की धरातलीय स्थित कुछ और ही है।
मनगढ़ंत आंकड़ों पर आधारित है रिपोर्ट
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट के आधार पर जिन गांवों को रेड जोन में शामिल किया गया है। वहां की धरातलीय रिपोर्ट कुछ और ही कह रही है। रिपोर्ट में केवल मनगढ़ंत आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं, जो हैरान करने वाले हैं। आशा रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार जिला मुख्यालय का निकटवर्ती गांव नेताला रेड जोन में रखा गया है। आशा रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार नेताला गांव में जनवरी से जून तक कुल सात प्रसव हुए हैं, जिनमें छह बालक और एक बालिका हुई है। लेकिन, रविवार को जब इस बारे में नेताला के प्रधान जगदंबा प्रसाद सेमवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके गांव में जनवरी से जून तक छह माह के अंतराल में 10 प्रसव हुए हैं।
ये आंकड़े उन्होंने नेताला गांव की दो आशा कार्यकर्ताओं से लिए, जिन्होंने बताया कि छह माह में छह लड़कों का जन्म हुआ है और चार लड़कियों का जन्म हुआ है। अगर अभी तक का आंकड़ा देखें तो उनके गांव में जनवरी से जुलाई तक पांच लड़कियों का जन्म हो चुका है। उनके गांव में स्थिति संतोषजनक है। वहीं डुंडा ब्लाक के न्यू गांव में भी आशा रिसोर्स सेंटर ने स्थिति को चिंताजनक बताया। लेकिन, न्यू गांव की प्रधान भूरी देवी ने कहा कि जनवरी से जून तक उनके गांव में छह बालक और चार बालिकाओं का जन्म हुआ है।