- शुक्रवार को सपा मुखिया और सुभासपा अध्यक्ष के बीच एक घंटे तक हुई थी बातचीत,
- सपा कार्यालय में हुई इस बैठक का नतीजा जल्द आएगा सामने,
- उपचुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं सपा और सुभासपा,
लखनऊ. लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा के साथ गठबंधन कर झटका खा चुके सपा के मुखिया अखिलेश यादव इस बार किसी तरह के गठबंधन को लेकर जल्दबाजी के मूड में नहीं हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ गठबंधन को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं लेकिन सपा सूत्रों का कहना है कि मायावती से झटका खाने के बाद अब वह अगला कदम फूंक फूंककर रखना चाहते हैं। हालांकि सूत्रों ने बताया कि हो सकता है कि उप्र में 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के दौरान कुछ सीटों पर सुभासपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का टेस्ट कराया जाए।
सुभासपा के नेताओं का हालांकि मानना है कि गठजोड़ की कवायद को मूर्त रूप लेने पर यादव, राजभर, मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने में मदद मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक सपा कार्यालय में हुई बैठक में दोनों नेताओं ने उपचुनाव और विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के सामने कड़ी चुनौती कैसे पेश की जाए इस पर चर्चा की गई।
पूर्वांचल में है राजभर का खासा प्रभाव
राजभर ने लोकसभा चुनाव में बगैर किसी पूर्व तैयारी के अपने दम पर पूर्वांचल की दर्जन भर सीटों पर 20 से 40 हजार तक वोट हासिल करने का हवाला दिया। कहा कि प्रदेश की 150 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर राजभर मतों की संख्या पांच से 50 हजार तक है। राजभर मतदाता जिस दल के साथ एकजुट होंगे उसका पलड़ा भारी होगा।
उपचुनाव में हाथ आजमाएंगे राजभर
सपा के सूत्रों की माने तो ओमप्रकाश राजभर की नजर उपचुनाव वाली तीन विधानसभा सीटों पर है। वह अंबेडकर नगर जिले की सीट जलालपुर, मऊ जिले की सीट घोसी और बहराइच जिले की विधानसभा सीट बल्हा से प्रत्याशी उतारना चाहते हैं। इन तीनों सीटों पर राजभर मतों की संख्या अच्छी है। इनके साथ सपा के बेस वोट बैंक यादव और मुसलमानों के एकजुट होने जीत की संभावना बढ़ जाएगी। इन तीनों सीटों पर दमदार प्रत्याशी के नाम पर भी करीब-करीब उन्होंने तय कर रखे हैं।
सपा भी चाहती है नया गठजोड़
सपा के एक नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद बसपा ने सपा से रिश्ते तोड़ लिए। इस गठबंधन के टूटने के बाद धीरे-धीरे सपा के कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं। ऐसी स्थिति में अखिलेश यादव भी यही कोशिश कर रहे हैं कि उनके नेतृत्व में कोई ऐसा गठबंधन बने जिससे वह प्रदेश में भाजपा के बाद दूसरे विकल्प के रूप में खुद को खड़ा रख सकें। इस जद्दोजहद में वह ओमप्रकाश राजभर को जोड़कर नया गठबंधन बनाने से शायद ही गुरेज करें।
लोकसभा उपचुनाव में सफलता के बाद सपा-बसपा के बीच हुआ था गठबंधन
उप्र में सपा और बसपा के बीच गठबंधन का आधार भी उपचुनावों का रिजल्ट ही बना था। फूलपुर, गोरखपुर और कैराना लोकसभा सीटों पर जीतने के बाद अखिलेश ने मायावती के साथ गठबंधन का फैसला किया था। हालांकि सपा के संरक्षक मुलायम सिंह इसके खिलाफ थे। लोकसभा चुनाव में सपा-और बसपा के बीच हुए गठबंधन के तहत 37 और 38 सीटें मिलीं थी। लेकिन चुनाव के बाद सपा को पांच और बसपा को 10 लोकसभा सीटों पर ही सफलता मिल पायी थी।
चनुाव के बाद मायावती ने खत्म कर दिया था एलायंस
मायावती ने पिछले दिनों बसपा की एक बैठक में सपा से गठबंधन को नुकसानदेह बताते हुए इसे खत्म कर दिया था।भविष्य में सभी चुनाव अपने बलबूते लड़ने का एलान किया था।हाल में हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश के 11 विधायक सांसद बन गये हैं।इनमें से आठ विधायक भाजपा और एक-एक विधायक सपा और बसपा के हैं।इन सीटों में रामपुर, टूंडला, इगलास, गंगोह, जलालपुर, जैदपुर, बलहा, लखनऊ कैंट, गोविंद नगर, प्रतापगढ़ और मानिकपुर शामिल हैं. इन सीटों पर उपचुनाव होना है।हालांकि उसकी तारीख अभी घोषित नहीं हुई है।