- कश्मीर में 1947 में हुए कबायली हमले में बिछड़ी थी चार साल की बहन
- राजस्थान के श्रीगंगानगर के रणजीत सिंह ने पीओके में रह रही बहन भज्जो (अब शकीना) से वीडियो कॉल से बात की
- भाई-बहन एडवोकेट हरपाल सिंह सूदन, पीओके में जुबेर और पुंछ में रहने वाली युवती रोमी शर्मा की बदौलत मिल सके
श्रीगंगानगर( Bureau). सोशल मीडिया ने सरहदों को पारकर 72 साल पहले बिछड़े भाई-बहन को मिलवा दिया है। भाई रणजीत सिंह राजस्थान के श्रीगंगानगर में है तो बहन भज्जो अब पाकिस्तान में रह रही हैं। रणजीत सिंह के परिवार ने रविवार को भज्जो और उसके परिवार से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात की।
अब दोनों परिवार जल्द करतारपुर में मिलेंगे। दोनों परिवार रायसिंह नगर के रहने वाले एडवोकेट हरपाल सिंह सूदन, पीओके में जुबेर और पुंछ में रहने वाली युवती रोमी शर्मा की बदौलत मिल सके हैं।
इन्होंने पुंछ में रहने वाले बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखा है। दरअसल, 1947 में कश्मीर के ददुरवैना गांव में रहने वाले लम्बरदार मतवालसिंह का परिवार कबायली हमले में बेघर हो गया था। हमले के दौरान चार साल की भज्जो परिवार से बिछड़ गई थी। मतवाल सिंह का परिवार अब जिले के रायसिंह नगर में रहता है। इसमें मतवाल सिंह का पोता रणजीत सिंह तथा उसका परिवार है। बिछड़ी उसकी बड़ी बहन भज्जो अब पाकिस्तान में शकीना है, जिनके अब चार बच्चे हैं।
वॉट्सएप ग्रुप में डाला भज्जो का डेटा और ढूंढ निकाला..
हरपालसिंह ने बताया कि रणजीत सिंह उसके घर आए थे। तब उसने चर्चा की कि उसने एक वॉट्सएप ग्रुप बना रखा है, जिसमें पीओके और कश्मीर में पुंछ के रहने वाले भी सदस्य हैं। तब रणजीत ने 1947 में बिछड़ी बहन भज्जो के बारे में बताया। फिर उन्होंने भज्जो का रिकॉर्ड ग्रुप में डाला। इसके बाद पता चला कि भज्जो अब शकीना है। वह पाकिस्तान में रह रही हैं।