Uttrakhand:तनाव के चलते इस बार भारत नहीं आसके पाकिस्तानी जायरीन!

APP105-26 KALIYAR SHARIF: November 26 Pakistani High Commissioner to India Sohail Mahmood and Pakistani Zaireen arrives for laying chaddar during annual Urs of Hazrat Khawaja Allauddin Ali Ahmed Sabir (RA). APP
- जानकारी के मुताबिक 14 नवंबर तक चलने वाले उर्स में भाग लेने के लिए 300 पाकिस्तानी नागरिकों ने कलियर आने को वीजा मांगा था।
- पांच नवंबर तक इसकी प्रक्रिया जारी रही, लेकिन इसके बाद पाकिस्तानी दूतवास से कोई सूचना नहीं मिल सकी।
- पाकिस्तान जायरीनों के जत्थे को नौ नवंबर को कलियर आना था!
- और 13 नवंबर को उनकी वापसी तय थी।
- बीते वर्ष 91 पाकिस्तानी जायरीन यहां आते थे।
Uttrakhand Express News Bureau
इस बार पाकिस्तान में भी हालात तनावपूर्ण हैं । जमीयत उलेमा के सदर मौलाना फजलुर्रहमान के नेतृत्व में 30 अक्टूबर से पाकिस्तान में आंदोलन चल रहा है। इसके चलते वहां तनाव की स्थिति है।
साथ ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति में बाद से समझौता एक्सप्रेस भी बंद है। ऐसे में अटारी बार्डर से जायरीनों को पैदल और फिर सड़क मार्ग से लाना मुश्किल है।

पाकिस्तानी जायरीनों के भारतीय मित्र एवं अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी ने बताया कि इस बार यहां आने वाले जायरीनों से उनकी फोन पर बात हुई थी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के मौजूदा हालात और समझौता एक्सप्रेस रद होने के कारण वह भारत नहीं आ पा रहे।
विदित हो कि अफजल मंगलौरी के पाकिस्तान में भी कई फैन हैं। वह मुशायरों में शिरकत करने पूर्व में पाकिस्तान जाते रहे हैं।
यहां आपको बता दें कि हर बार की तरह इस बार भी उत्तराखंड के रुड़की में कलियर के सालाना उर्स में ‘छोटी रोशनी’, ‘बड़ी रोशनी’ और ‘कुल शरीफ’ की रस्म संपन्न हो चुकी हैं, लेकिन इस बार इन रस्मों में शिरकत करने पाकिस्तान से कोई जायरीन यहां नहीं पहुंचा।

जानकारी के मुताबिक, 14 नवंबर तक चलने वाले उर्स में भाग लेने के लिए 300 पाकिस्तानी नागरिकों ने कलियर आने को वीजा मांगा था। पांच नवंबर तक इसकी प्रक्रिया जारी रही, लेकिन इसके बाद पाकिस्तानी दूतवास से कोई सूचना नहीं मिल सकी।
बता दें कि पाकिस्तान जायरीनों के जत्थे को नौ नवंबर को कलियर आना था और 13 नवंबर को उनकी वापसी तय थी। बीते वर्ष 91 पाकिस्तानी जायरीन यहां आए थे।
इस संबंध में पाकिस्तानी दूतावास को एक या दो दिन पहले आधिकारिक रूप से इसकी सूचना जिला प्रशासन को देनी होती है। हालांकि, इस बार कोई सूचना ना होने के कारण उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार पाकिस्तान जायरीनों के आने की कोई उम्मीद नहीं है।