अयोध्या फैसला :सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाएंगे,दूसरी जगह जमीन मंजूर नहीं: मुस्लिम लॉ बोर्ड

- बोर्ड के वकील जिलानी ने कहा-सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई अंतर्विरोध,जब बाहर से लाकर मूर्ति रखी गई तो उन्हें देवता कैसे मान लिया गया
- हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने कहा- एआईएमपीएलबी इस मामले में पार्टी नहीं, इसलिए पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं कर सकता
- बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बैठक का बहिष्कार किया, कहा- अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे
- राम जन्मभूमि के पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा- पुनर्विचार याचिकाका कोई औचित्य नहीं, सामान्य मुसलमान फैसले से खुश
लखनऊ.यहां रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की बैठक हुई।इसमें एएमआईएएम अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी समेत देशभर के मुस्लिम नेता पहुंचे। मीटिंग के बाद बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। वहींहिंदू महासभा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में केवल केस में शामिल पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं। बोर्ड इस मामले में पार्टी नहीं है, इसलिए उसे याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है।
एआईएमपीएलबी के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘‘शरई वजहों से दूसरी जगह पर मस्जिद की जमीन कबूल नहीं करेंगे। हमें वही जमीन चाहिए, जिसके लिए लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई अंतर्विरोध हैं। जब बाहर से लाकर मूर्ति रखी गई तो उन्हें देवता कैसे मान लिया गया? जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता। गुंबद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वहां नमाज पढ़ी जाती थी। हमें 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। 30 दिन के अंदर रिव्यू फाइल करना होता है, जिसे हम कर देंगे।’’
सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही याचिका दाखिल करने का अधिकार: हिंदू पक्ष
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या विवाद में पक्षकार नहीं है, इसलिए उसे सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “केवल मामले से संबंधित पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं। एआईएमपीएलबी इस मामले में पार्टी नहीं है। इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड पक्षकार है और पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के बारे में केवल वही फैसला ले सकता है।” उन्होंने फैसले में गलतियां होने की बात भी खारिज की।
‘हक की लड़ाई लड़ेंगे’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा किहमें मालूम है कि याचिका 100% खारिज हो जाएगी। इसके बावजूद हम सुप्रीम कोर्ट केफैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकादायर करेंगे।यह हमारा हक है।वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड और मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बैठक का बहिष्कार किया।
पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे:सुन्नी वक्फ बोर्ड
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने साफ कर दिया था कि वह फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। इसको लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंसभी की थी। इससे इतर ओवैसी ने कहा था- मुस्लिमों को मस्जिद के लिए जमीन खैरात में नहीं चाहिए। देश का मुसलमान जमीन खरीद सकता है। उन्होंने अपने टि्वटर पर लिखा था- मस्जिद वापस चाहिए।
मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे: इकबाल अंसारी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक परइकबाल अंसारी ने कहा- हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं। अयोध्या केस हिंदुस्तान का अहम फैसला था, हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे। जितना मेरा मकसद था, उतना मैंने किया। कोर्ट ने जो फैसला कर दिया उसे मान लो। हम पक्षकार थे और हम अब पुनर्विचार याचिका करने आगे नहीं जाएंगे। पक्षकार ज्यादा हैं। कोई क्या कर रहा है, नहीं मालूम।
जिलानी की बंद हो रही दुकान: सत्येंद्र दास
राम जन्मभूमि के पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा- इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से साफ इंकार किया। पुनर्विचार याचिका का कोई औचित्य नहीं। जफरयाब जिलानी की दुकान बंद हो रही है, निश्चित है वह इसको फिर चलाएंगे। सामान्य मुसलमान फैसले से खुश हैं।
कोर्ट के आदेश का आदर करना चाहिए: धर्मदास
हिंदू पक्षकार धर्मदास ने कहा- कानूनन सभी व्यक्ति स्वतंत्र हैं। हम चाहते हैं कि सभी लोग राम का समर्थन करें और राम के मंदिर के प्रति आस्था व्यक्त करें। इकबाल अंसारी अयोध्या के मुख्य पक्षकार हैं और वह कहते हैं कि हमें रिव्यू दाखिल नहीं करना है तो उनका स्वागत है।
एक हफ्ते पहले कोर्ट ने सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने और अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। यह भी कहा था- मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए।
प्रतीकात्मक फोटो।

इसी मुमताज कॉलेज में बैठक हुई।