- महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली
- शनिवार को उद्धव के साथ बैठक के बाद कुछ विधायकों ने मांग की कि राज्य में दोनों पार्टियों का ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बने
- इसके बाद दोनों पार्टियों में विवाद शुरू हुआ, देवेंद्र फडणवीस ने कहा- राज्य में अगले 5 साल भाजपा के नेतृत्व में सरकार चलेगी
मुंबई. शिवसेना के नेता संजय राउत ने सोमवार को महाराष्ट्र में गठबंधन की साथी भाजपा को चेतावनी दी। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा उन्हें विकल्प ढूंढने के लिए मजबूर न करे।
राउत ने कहा कि राजनीति में कोई संत नहीं होता। महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। गठबंधन में दोनों बहुमत के 145 सीटों के आंकड़े से आगे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियों में विवाद पैदा हो गया है।
शिवसेना के ढाई साल मुख्यमंत्री पद की मांग के बाद उठा विवाद
24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के बाद शिवसेना के कुछ नेताओं ने मांग की है कि राज्य में ढाई साल शिवसेना और ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री बने। शिवसेना ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 50:50 फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए मांग की थी कि दोनों पार्टियों के नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिले।
शिवसेना के प्रताप सरनाइक ने कहा कि उद्धव को मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा आलाकमान से लिखित में लेना चाहिए। हालांकि, इसके बाद महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य में अगले 5 साल भाजपा के नेतृत्व में ही सरकार चलेगी।
‘देखते हैं भाजपा कैसे मुख्यमंत्री पद साझा नहीं करती’
राउत ने एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान कहा, “हम देखेंगे कि कैसे भाजपा मुख्यमंत्री पद को साझा नहीं करती। दोनों पार्टियों के बीच 50:50 पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति बनी थी।
इसे ज्यादा विस्तार से बताने की जरूरत ही नहीं।” राउत ने दावा किया कि सरकार बनाने को लेकर अब तक भाजपा और शिवसेना के बीच कोई बात नहीं हुई है।
राउत से जब भाजपा के आगे बढ़कर सरकार बनाने के दावे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, अगर वो चाहे तो शिवसेना की मदद के बिना सरकार बना ले। हम इसका स्वागत करते हैं।”
हमने भाजपा को ज्यादा सीटों पर लड़ने का मौका दिया
राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों ने बराबर की साझेदारी पर सहमति जताई थी। इस बारे में मुंबई से ऐलान भी किया गया।
चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने सेना से अपील की थी कि उसे ज्यादा सीटों पर लड़ने दिया जाए, ताकि उनके विधायक दल न बदलें।
इस पर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सहमति भी जता दी। इसलिए वे 164 सीटों पर लड़े और हम 64 सीटों पर। हम राजनीति में कभी झूठ नहीं बोलते, फिर चाहे वो सत्ता के लिए ही क्यों न हो।