महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। जिसके बाद इसे कैबिनेट से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, जहां राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूर कर लिया है।
राज्यपाल ने रविवार रात शिवसेना को न्योता देकर उनसे पूछा था कि क्या वह सरकार बनाने की इच्छा और क्षमता जाहिर करना चाहते हैं। उसके कुछ ही घंटे पहले शिवसेना के गठबंधन सहयोगी और सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश करने से इंकार कर दिया था।
महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे मंजूर कर लिया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है। राज्य में सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी शिवसेना के लिए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना बड़ा झटका है।
वहीं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा सरकार बनाने की योग्यता साबित करने लिए और वक्त ना दिए जाने से नाराज शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है।
बता दें कि भाजपा द्वारा सरकार बनाने से इंकार के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया था। जिसकी समय सीमा सोमवार को शाम 7.30 बजे तक थी। हालांकि तय समय के भीतर शिवसेना सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन नहीं जुटा पायी। इसके बाद शिवसेना नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर दो दिन का और समय देने की मांग की। हालांकि राज्यपाल ने इससे इंकार कर दिया।
बता दें कि महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। इस संबंध में राजभवन की तरफ से एक प्रेस-रिलीज भी जारी कर दी गई थी। राज्यपाल ने कहा है कि चूंकि प्रदेश में संवैधिनक रूप से सरकार बनने के आसार नहीं है। लिहाजा, धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) लागू किया जाए। सूत्रों ने बताया कि सहयोगियों ने शिवसेना को समर्थन देने के बदले सरकार में 50-50 यानी आधी हिस्सेदारी की मांग की है। सूत्रों ने बताया कि ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में सरकार बनने का रास्ता साफ होने के आसार हैं।