
- जोधपुर के मंडोर थाने का मामला, दिनदहाड़े घर में हुई चोरी की शिकायत लेकर पहुंचे थे करणसिंह.
- पुलिस के इस रवैये से स्तब्ध करणसिंह ने बाद में एफआईआर में वाकये का जिक्र भी किया,
जोधपुर.माता थान मगरा पूंजला निवासी करणसिंह परिहार। गुरुवार को उनके घर दिनदहाड़े चोरी हुई। चोर घर से 20-25 तोला सोना और 10 हजार कैश उड़ाकर ले गए। इनमें सोने के पांच सैट, चेन, झुमके, 6-7 अंगूठियां भी थीं। गाढ़ी कमाई की इस तरह दिनदहाड़े चोरी से पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिहार ने घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग खंगाली तो चोर इसमें नजर आए। उन्हें उम्मीद बंधी कि अब शायद पुलिस इसके सहारे चोरों को पकड़ लेगी।
वे बड़ी उम्मीद लेकर एफआईआर दर्ज करवाने मंडोर थाने पहुंचे। वहां मिले कार्मिक राजकुमार व दिनेश। परिहार ने उनसे रिपोर्ट लिखने को कहा। उनका उत्तर सुन वे सकते में आए। दोनों बोले- सरकार हमेंं पेन नहीं देती है, इसलिए पेन लेकर आओ, फिर रिपोर्ट लिखाओ। पुलिस के इस रवैये से स्तब्ध परिहार ने बाद में एफआईआर में वाकये का जिक्र भी किया। मंडोर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 329 में परिहार की रिपोर्ट के अनुसार दोनों पुलिसकर्मियों का कहना है कि ‘एसपी साहब से बोलें कि थाने में पेन उपलब्ध कराएं, ताकि आप पब्लिक को परेशानी नहीं हो।’
मुख्यमंत्री की नसीहत, डीजीपी के दावेदरकिनार कर रही खाकी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 3 अगस्त को प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर जिला पुलिस अधीक्षकों की कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों को पुलिस की छवि बदलने काे कहा था। डीजीपी डॉ. भूपेंद्रसिंह यादव सहित कई एडीजी, तमाम रेंज आईजी व अन्य की मौजूदगी में गहलोत ने कहा था कि हमारी सरकार ने आदेश दिया कि थाने में हर फरियादी का मुकदमा दर्ज होगा। अगर थाने में केस दर्ज नहीं होता है तो एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज होगा। लेकिन यह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। इसमें थानेदार की भूमिका की जांच होगी कि उसने मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया।
डीजीपी ने थानों में रिसेप्शन डेस्क के निर्देश दिए थे
डीजीपी यादव ने गत दिनों कहा था कि प्रदेश के सभी थानों में सालभर में रिसेप्शन होगा। इससे थाने अाने वाले प्रत्येक परिवादी को पूरा रिस्पॉन्स मिल सकेगा।
छोटे-मोटे खर्च के लिए 10 हजार का फंड, खर्च ही नहीं करते
पुलिस विभाग की लेखा शाखा से जुड़े जानकारों के अनुसार प्रदेश के सभी थानों को स्थायी पेशगी फंड के रूप में 10 हजार रुपए मिलते हैं। जोधपुर ही नहीं पूरे प्रदेश के अधिकांश थानों में इस फंड का उपयोग ही नहीं किया जाता है। जबकि यह फंड रोजमर्रा के खर्च जैसे बंद हुई लाइट चालू करने, मरम्मत के छोटे-मोटे काम, स्टेशनरी या अन्य अकस्मात खर्च के लिए दिए जाते हैं। यह राशि खर्च कर पुलिस को बिल देना पड़ता है। तब खर्च की राशि वापस मिल जाती है। हालांकि बिल पास कराने की प्रक्रिया से बचने के लिए थानाधिकारी या ऊपर के अधिकारी इन खर्चों को दूसरे तरीके से निकालते हैं।
थानों में एसी या अन्य बड़े खर्च तो भामाशाहों से करवा लेती है पुलिस
पुलिसकर्मी ने परिवादी से पैन लाने को कहा तो गलत है। मेरे ध्यान में अभी बात आई है। जांच करवाकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेंगे। प्रत्येक थाने में रोजमर्रा खर्च के लिए स्थायी पेशगी फंड होता है। स्टेशनरी या अन्य सामान्य खर्चे इसमें से करने चाहिए। – धर्मेंद्रसिंह यादव, डीसीपी (ईस्ट)