पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपेक्षा के नाम पर कांग्रेस नेताओं के बीच सोशल मीडिया पर चल रही जंग को लेकर हाईकमान ने ऐसे नेताओं को कड़ी हिदायत दी है। कांग्रेस में उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि पार्टी में यदि किसी को कोई शिकायत है तो वो उसे पार्टी फोरम में रखे। सोशल मीडिया में जाकर पार्टी की किरकिरी न कराएं। बकौल सिंह, पार्टी चुनौती के दौर से गुजर रही है। ऐसे वक्त में इस प्रकार का आचरण कतई स्वीकार्य नहीं होगा। इस नसीहत के बाद विवाद के कुछ थमने की उम्मीद की जा रही है। पार्टी में एकजुटता के प्रयासों को अपने ही शीर्ष नेताओं के स्तर से पलीता लगाया जाता देख हाईकमान खासा परेशान है।
कांग्रेस में नया घमासान बीती 28 दिसंबर की संविधान बचाओ-देश बचाओ रैली के बाद धारचूला विधायक हरीश धामी की फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ। तीस दिसंबर को आई इस पोस्ट पर धामी ने कहा कि रावत की उपेक्षा पार्टी हित में ठीक नहीं। यदि यही हाल रहे तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी सोच सकता हूं। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता करन माहरा और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मामला भी इस विवाद में कूद पड़े।
रावत कैंप की सियासी सक्रियता प्रीतम और इंदिरा कैंप को कम ही सुहाती है। इसे प्रदेश संगठन के समानांतर संगठन चलाने की तरह भी प्रचारित किया जाता है। इससे नाराज रावत ने बीती 18 दिसंबर को अपने सभी कार्यक्रम तीन माह के लिए स्थगित कर दिए थे। संविधान बचाओ-देश बचाओ रैली से पहले वो असोम चले गए थे। उधर रैली में होर्डिंग-बैनर से रावत का नाम-फोटो नदारद होने को रावत खेमा उनके अपमान से जोड़कर देख रहा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनकी उपेक्षा कैसे की जा सकती है।