डेंगू की बीमारी बेकाबू होती जा रही है। पिछले दिनों की तरह शनिवार को भी प्रदेश में 232 नये मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। अब डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या चार हजार पार कर गई है।…
देहरादून। डेंगू की बीमारी बेकाबू होती जा रही है। ऐसा दिन कोई नहीं, जब डेंगू के नये मरीज सामने नहीं आ रहे हैं। मैदान हो या फिर पहाड़, सभी जगह डेंगू की बीमारी फैलाने वाला एडीज मच्छर तेजी से पैर पसार रहा है। पिछले दिनों की तरह शनिवार को भी प्रदेश में 232 नये मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
इनमें देहरादून के 173 मरीज भी शामिल हैं। जबकि नैनीताल में 55, चमोली में तीन व उधमसिंहनगर में एक और मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई। इस तरह राज्य में अब डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या चार हजार (4075) के आंकड़े को पार कर गई है।
देहरादून में इस बार डेंगू का सबसे ज्यादा कहर बरप रहा है। वहीं नैनीताल में भी डेंगू का कहर बढ़ता जा रहा है। यहां मरीजों की संख्या बढ़कर 1189 तक पहुंच गई है। उधमसिंह नगर में भी डेंगू के मरीजों की संख्या 86, टिहरी में 15, पौड़ी में 12, अल्मोड़ा में नौ, रुद्रप्रयाग में छह, चमोली में तीन व चंपावत में दो हो गई है।
यदि डेंगू का मच्छर यूं ही कहर बरपाता रहा तो इस माह के अंत तक प्रदेश में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा पांच हजार को भी पार कर सकता है। डेंगू के बढ़ते प्रकोप व मच्छर के घातक होते स्ट्रेन से जिम्मेदार महकमों की नींद उड़ी हुई है। इस बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए तंत्र द्वारा अब तक किए गए सभी इंतजाम धराशायी होते दिख रहे हैं।
रोजाना किस तरह लोग डेंगू की चपेट में आ रहे हैं, इसकी तस्वीर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते दबाव से साफ होती है।
अस्पतालों की ओपीडी में जहां सुबह से ही मरीजों की भारी भीड़ लग जा रही हैं, वहीं आईपीडी (वाडोर्ं) में भी बेड फुल हैं। पैथोलॉजी लैब के बाहर भी मरीजों की लंबी कतार देखी जा सकती है। स्थिति यह कि कई मरीजों का नंबर तो दो-तीन दिन के इंतजार के बाद भी नहीं आ रहा है।
कई मामलों में ऐसा भी हो गया है कि जब तक मरीज के ब्लड सैंपल की जांच रिपोर्ट आई, उससे पहले ही मरीज की मौत हो गई। बता दें, डेंगू का मच्छर राज्य में अब तक 12 मरीजों की जान लील चुका है। हालांकि सरकारी दस्तावेजों में इस बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या सात बताई जा रही है। जिन पांच मरीजों का डेथ आडिट कराने की बात स्वास्थ्य महकमा कर रहा था, उसका अब तक कोई अता-पता नहीं है।
बहरहाल, एक तरफ डेंगू का मच्छर तेजी से पैर पसारने पर आमादा है, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य महकमा दावे पर दावे कर रहा है। जबकि विभागीय अधिकारियों द्वारा अब तक किए गए अधिकांश दावे फेल ही साबित हुए हैं। अब डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए शहर के सभी वाडोर्ं व आसपास के क्षेत्रों में सघन जागरूकता अभियान चलाने की बात स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है।
रविवार से चलाये जाने वाले इस अभियान के फलस्वरूप विकराल होते डेंगू पर कितना विराम लग पाता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि पिछले दो माह में डेंगू से पार पाने के लिए जो भी तरकीब अपनाई गई वह नाकाम ही रही हैं।
ग्यारह हजार से अधिक ब्लड सैंपलों की जांच
अन्य जनपदों की अपेक्षा देहरादून में डेंगू व अन्य संक्रामक बीमारियों का ज्यादा कहर बरप रहा है। बात अगर सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों की ही करें तो पिछले ढाई माह में 11881 लोगों के ब्लड सैंपल की जांच अलग-अलग पैथोलॉजी लैब (सरकारी) में हो चुकी है।
इनमें से 2607 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। अब तक दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब में सबसे अधिक 9414 ब्लड सैंपल की जांच हुई है। वहीं गांधी शताब्दी नेत्र अस्पताल की लैब में 1325, कोरोनेशन अस्पताल में 598, एसपीएस अस्पताल ऋषिकेश में 446 और सीएचसी रायपुर में 98 डेंगू संदिग्ध मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच हो चुकी है।