12वीं में करीब 96 फीसदी अंक और आईआईटी जेईई में बेहतर प्रदर्शन कर चौंकाने वाली 23 वर्षीय हर्षिता अपने सीएम पिता अरविंद केजरीवाल की राह पर है।
गुरुग्राम स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हर्षिता ने छुट्टी ले कर अपने पिता के नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल ली है।
हर्षिता बीते करीब दो हफ्ते से इस विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न कालोनियों में प्रतिदिन दो नुक्कड़ सभाओं (जनसंवाद) के जरिये मतदाताओं से सरकार के कामकाज का फीडबैक ले रही हैं।
उनकी योजना विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक इस विधानसभा में डटे रहने की है। बहरहाल यह साफ नहीं है कि हर्षिता भविष्य में राजनीति की राह पकड़ेंगी या उनका मकसद फिलहाल सिर्फ अपने सीएम पिता को चुनाव जिताना है।
बीते दो हफ्ते से इस विधानसभा क्षेत्र की खाक छान रही हर्षिता अब तक करीब दो दर्जन नुक्कड़ सभाएं कर चुकी हैं। सोमवार से शुक्रवार तक वह प्रतिदिन दो तो शनिवार और रविवार को प्रतिदिन तीन-तीन नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं।
शनिवार देर रात गोल मार्केट के सेक्टर 2 स्थित 9 ब्लॉक के पार्क में हर्षिता ने कहा कि उन्होंने पांच महीने की छुट्टी ले कर आम आदमी पार्टी की मदद करने का फैसला लिया है।
अनूठी प्रचार शैली
सीएम की बेटी के चुनाव प्रचार में कोई बड़ा तामझाम नहीं है। वह कॉलनियों के अंदर बने छोटे-छोटे पार्क में मतदाताओं के छोटे-छोटे समूह को संबोधित करती हैं। इस दौरान दूसरे दलों पर आरोप लगाने के बदले केजरीवाल सरकार की उपलब्धियां गिनाने पर ध्यान देती हैं।
नुक्कड़ सभा से पहले आप के वॉलंटियर संबंधित कॉलनी केएक-एक घर में दस्तक दे कर कार्यक्रम की जानकारी देते हैं।
इस दौरान हर्षिता का मुख्य फोकस युवा और महिलाएं होती हैं। युवाओं को मुफ्त कोचिंग तो बुजुर्ग महिलाओं को सरकार की तीर्थ योजना की जानकारी देती हैं।
संबोधन की शुरुआत भाजपा के पांच, कांग्रेस के दस और आप के साढ़े चार साल की तुलना से होती है।
परेशानी पूछने के बाद गिनाती है उपलब्धियां
हर्षिता सबसे पहले लोगों से कॉलनी की परेशानी के बारे में बात करती हैं। इसकेबाद बिजली-पानी की सहुलियत पर फीडबैक लेती हैं।
अंत में केजरीवाल सरकार की एक-एक योजना की जानकारी देने के साथ इन योजनाओं में सुधार केलिए सुझाव मांगती हैं। इस दौरान वॉलंटियर सुझावों-शिकायतों को लैपटॉप पर लगातार नोट करते रहते हैं।