
देश में अब प्लास्टिक से डीजल व अन्य पेट्रोलियम उत्पाद बनाए जाएंगे। केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉॅ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में प्लास्टिक से डीजल बनाने के लिए स्थापित पहले संयंत्र का उद्घाटन किया।
इस मौके पर उन्हाेंने इसे संस्थान के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि इससे तेल संकट को काफी हद तक दूर करने में मदद मिलेेगी। साथ ही देश के विकास को भी नई दिशा मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आने वाले छह माह के भीतर 10 टन क्षमता का एक संयंत्र दिल्ली में भी स्थापित किया जाएगा। कहा कि प्लास्टिक पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे मेें यदि पूरे देश में इस तरह के संयंत्र लगाए जाते हैं तो न केवल प्लास्टिक को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी बल्कि केंद्र सरकार की ‘वेस्ट टू वेल्थ’ योजना को भी बढ़ावा मिलेगा।
बनाया जाएगा रिन्यूवल एनर्जी सर्विस स्टेशन

केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करने को लेकर कई तरह के कदम उठा रही है। ग्लोबल वार्मिंग को बड़ा खतरा बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों में 35 फीसदी की कमी का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय मंत्री ने दून में बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने के साथ ही रिन्यूवल एनर्जी सर्विस स्टेशन बनाए जाने की भी जानकारी दी। देश के कॉर्पोरेट घरानों से आह्वान करते हुए कहा कि वे प्लास्टिक से डीजल बनाने के संयंत्र लगाने के लिए आगे आएं। कार्यक्रम में आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन रे, गेल के कार्यकारी अध्यक्ष डीबी शास्त्री समेत कई लोगों ने संबोधित किया।
प्लास्टिक से डीजल बनाने का संयंत्र स्थापित करने में 13 करोड़ की लागत आई है। फिलहाल संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन एक टन प्लास्टिक को शोधित करने की है। एक टन प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल तैयार किया जा रहा है। संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रति लीटर उत्पादन लागत 80 रुपये आ रही है लेकिन यदि ज्यादा क्षमता का संयंत्र लगाया जाता है तो उत्पादन लागत कम हो जाएगी।
संस्थान में बने ईंधन से उड़ा था जेट विमान

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि पिछले साल 27 अगस्त को आईआईपी के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए ईंधन से वायुसेना का जहाज जौलीग्रांट से लेकर दिल्ली तक गया था। इसके अलावा गत गणतंत्र दिवस पर परेड के दौरान वायुसेना के जिन जेट विमानों ने उड़ान भरी थी वे भी आईआईपी में जेट्रोफा से तैयार किए गए ईंधन से उड़ाए गए। अब संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक से डीजल का उत्पादन का नई मिसाल पेश की है।
गेल ने दी 80 फीसदी आर्थिक मदद
तकनीक संयंत्र को स्थापित करने में गैस अथारिटी ऑफ इंडिया (गेल) ने कुल लागत का 80 फीसदी खर्च वहन करने के साथ ही निर्माण में तकनीक प्रदान की है, जबकि 20 फीसदी बजट सीएसआईआर ने वहन किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि 10 टन क्षमता का संयंत्र लगाया जाता है तो इसकी निर्माण लागत 35 करोड़ आएगी और इससे औसतन 8000 लीटर डीजल का उत्पादन होगा।
पुरानी गाड़ियों के रेट्रोफिटिंग को शोध करें वैज्ञानिक : हर्षवर्धन

केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने देश के वैज्ञानिकों से अपील की है कि वे डीजल व पेट्रोल की पुरानी गाड़ियों की रेट्रोफिटिंग व उन्हें इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तब्दील करने को लेकर शोध करें।
सड़कों पर लाखों की संख्या में ऐसी गाड़ियां चल रही हैं जो पुरानी हो चुकी हैं और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में यदि वैज्ञानिक इन गाड़ियों की रेट्रोफिटिंग करके उन्हें इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तब्दील करते हैं तो न सिर्फ डीजल, पेट्रोल की खपत को कम किया जा सकेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देहरादून में बायो डायवर्सिटी पार्क, रिन्यूबल एनर्जी स्टेशन खोला जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। गेल की ओर से एक अत्याधुनिक गैस बर्नर तैयार किया गया है जिसकी मदद से आम गैस बर्नर में बर्बाद होने वाली 20 से 25 फीसदी गैस को बचाया जा सकेगा। पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार की मंशा 2022 तक नया भारत बनाने की है। जिसके लिए केंद्र सरकार की ओर से तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं।