कैसे पाक से भारत आया जेटली का परिवार, जहां मिली थी शरण, वहीं लड़ा पहला और आखिरी चुनाव

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का पंजाब के अमृतसर से गहरा नाता था। देश विभाजन के बाद पाकिस्तान से पलायन करने के बाद उनके पिता महाराजा किशन जेटली अमृतसर में कुछ महीने रुके थे। पुराने शहर के बाजार फुल्लां वाला में जेटली के पिता की बहन का घर था। इसी घर में जेटली के पिता व उनके पांच भाइयों ने कुछ महीने गुजारे थे।विज्ञापन
इस घर में अब जेटली की बुआ के पोते नरेंद्र शर्मा रहते हैं। इसी बाजार में जेटली के मामा मदन त्रिखा का भी घर था। जहां अब उनके मामा की बहू रमा त्रिखा परिवार के साथ रहती हैं। जेटली का ननिहाल अमृतसर था, इसलिए उनके राजनीतिक और सामाजिक जीवन में अमृतसर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अरुण जेटली – फोटो : Facebookजब 1980 में अरुण जेटली की शादी कांग्रेस के दिग्गज नेता और जम्मू-कश्मीर के कई बार मंत्री रहे गिरधारी लाल डोगरा की बेटी संगीता उर्फ डॉली से हुई तो संगीता का संबंध भी अमृतसर के साथ जुड़ा हुआ था। जेटली के चाचा ससुर किशन चंद और दरबारी लाल की मजीठ मंडी में जड़ी बूटियों की दुकान थी। वह शहर के पुराने बाजार नमक मंडी की गली कंधारियां में रहते थे।
राजनीतिक सफर का पहला और अंतिम चुनाव भी अमृतसर से लड़ा
यह भाग्य की विडंबना ही थी कि जिस अमृतसर के साथ अरुण जेटली का दिल से लगाव था, वही अपने राजनीतिक सफर का पहला और अंतिम चुनाव भी अमृतसर संसदीय सीट से लड़ा। 2014 में अमृतसर सीट पर अरुण जेटली का मुकाबला कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुआ लेकिन जेटली चुनाव हार गए। उस समय भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अरुण जेटली को राजस्थान की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था।