बैंको के विलय के विरोध में उतरे लखनऊ। आर्थिक सुधार के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आपस में विलय के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में शनिवार को बैंक कर्मियों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर कर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को सरकार का तुगलकी फरमान बताते देते हुए अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह बताया। प्रदर्शनकारी ने कहा कि मंदी से देश का ध्यान हटाने के लिए बैंकों का विलय किया गया है।यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले शाम को बैंक कर्मचारी हजरतगंज स्थित यूनियन बैंक की शाखा के बाहर एकत्र हुए। संयोजक एसके संगतानी ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने जा रही है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा। इससे बैंकों की तमाम शाखाएं बंद होंगी। कर्मचारियों की छटनी भी तय है। बेरोजगारी बढ़ेगी। वाईके अरोड़ा ने कहा कि पिछले पांच सालों में एनपीए 4.25 लाख करोड़ माफ करने के बाद भी 8.50 लाख करोड़ बचा है। सरकार, स्वस्थ बैंक में अस्वस्थ बैंक का विलय तो कर रही है लेकिन एनपीए की वसूली करने की मंशा नहीं है। - Express News Bharat
बैंको के विलय के विरोध में उतरे लखनऊ। आर्थिक सुधार के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आपस में विलय के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में शनिवार को बैंक कर्मियों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर कर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को सरकार का तुगलकी फरमान बताते देते हुए अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह बताया। प्रदर्शनकारी ने कहा कि मंदी से देश का ध्यान हटाने के लिए बैंकों का विलय किया गया है।यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले शाम को बैंक कर्मचारी हजरतगंज स्थित यूनियन बैंक की शाखा के बाहर एकत्र हुए। संयोजक एसके संगतानी ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने जा रही है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा। इससे बैंकों की तमाम शाखाएं बंद होंगी। कर्मचारियों की छटनी भी तय है। बेरोजगारी बढ़ेगी। वाईके अरोड़ा ने कहा कि पिछले पांच सालों में एनपीए 4.25 लाख करोड़ माफ करने के बाद भी 8.50 लाख करोड़ बचा है। सरकार, स्वस्थ बैंक में अस्वस्थ बैंक का विलय तो कर रही है लेकिन एनपीए की वसूली करने की मंशा नहीं है।