ऊर्जा निगमकर्मियों को अब महंगी पड़ेगी बिजली

राज्य में ऊर्जा निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को असीमित रियायती बिजली नहीं मिलेगी। उन्हें अब इसके लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत किया। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई। इस मामले में दून के आरटीआई क्लब ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार बिजली विभाग के अधिकारियों से एक महीने के बिल के रूप में 400 से 500 रुपये और अन्य कर्मचारियों से मात्र 100 रुपये ले रही है। वहीं सेवानिवृत्त और उनके आश्रितों को बिजली मुफ्त दी जा रही है। इसका सीधा भार आम जनता पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा-कई अफसरों के घर में बिजली के मीटर तक नहीं हैं। जिन के घर में मीटर लगे भी हैं, वो खराब हैं।
पावर कॉरपोरेशन के एक जनरल मैनेजर का 25 माह का बिजली का बिल 4.20 लाख रुपये आया था, जबकि 2005 से 2016 तक उनके घर में लगे बिजली के मीटर की रीडिंग ही नहीं ली गई थी। कोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग याचिका में की गई है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान सचिव ऊर्जा, पिटकुल व यूजेवीएनएल अधिकारियों को आदेश दिए कि वे कार्मिकों को दी जा रही बिजली का पूरा डाटा 25 नवंबर को प्रस्तुत करें।