उत्तराखंड के लिए अवसर बन रहा दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण

दिल्ली एनसीआर में खतरनाक प्रदूषण ने उत्तराखंड को अपनी आबोहवा भुनाने का अच्छा मौका दे दिया है। राज्य के बढ़ते वेलनेस सेक्टर में इससे बूम आने की उम्मीद है।
उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य और आबोहवा के बल पर वेलनेस सेक्टर को बढ़ा रहा है। सरकार देश दुनियां के निवेशकों को राज्य में आमंत्रित कर रही है। अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का वेलनेस समिट आयोजित कर वेलनेस में हजारों करोड़ का निवेश जुटाने की कोशिश की जा रही है। राज्य में निवेश के लिए निवेशकों को आबोहवा, दिल्ली एनसीआर की नजदीकी और मजबूत कनेक्टिविटी को प्लस प्वाइंट के तौर पर बताया जा रहा है।
अब दिल्ली एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी से निवेशकों तक साफ संदेश पहुंच गया है कि उत्तराखंड और आसपास के हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे वेलनेस रिजार्ट, होटल और पंचकर्म सेंटरो की आवश्यक्ता बढ़ेगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे भविष्य में राज्य में निवेश के साथ ही पर्यटन स्थल भी बढेंगे।
वेलनेस के लिए पहाड़ सबसे उपयुक्त
दिल्ली एनसीआर में जहां प्रदूषण की मात्रा बेहद गंभीर स्थिति तक पहुंच गई है। वहीं उत्तराखंड के पहाड़ों की जलवायु अभी भी पूरी तरह शुद्ध और साफ है। शुद्ध आबोहवा की वजह से राज्य में नए नए पर्यटन क्षेत्र भी विकसित हो रहे हैं। मसूरी, नैनीताल के अलावा पर्यटक बहुत सारे नए पर्यटन स्थलों तक पहुंच रहे हैं। औली, चोपता, त्रियुगीनारायण, रानीखेत, कसारदेवी, टिहरी जैसे नए क्षेत्रों की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है।
उत्तराखंड में वेलनेस की अत्यधिक संभावना है। देश और दुनियां के निवेशकों को यह बताने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली एनसीआर या अन्य स्थानों पर लगातार बढ़ रहा प्रदूषण निश्चित रूप से राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ाएगा। लेकिन इसके लिए राज्य में प्रदूषण के स्तर को कम रखना भी जरूरी होगा।